कांग्रेस में नहीं शामिल होंगी हाथरस रेप पीड़िता की मां, परिवार ने कहा- टिकट नहीं, न्याय चाहिए

Published : Jan 19, 2022, 11:27 AM IST
कांग्रेस में नहीं शामिल होंगी हाथरस रेप पीड़िता की मां, परिवार ने कहा- टिकट नहीं, न्याय चाहिए

सार

पीड़िता के छोटे भाई ने कहा, 'मामला अभी कोर्ट में चल रहा है। डेढ़ साल हो गया, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला।  इसलिए हम चुनाव नहीं लड़ सकते। ' उन्होंने कहा कि तक किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया है। हमारा मकसद सिर्फ बहन को न्याय दिलाना है, अगर कोई हमसे संपर्क करना चाहता है, तो उसका स्वागत है।  

हाथरस: कांग्रेस ने 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे पर अमल करते हुए यूपी में योगी सरकार (yogi sarkar) में यातना का शिकार हुईं कई महिलाओं को विधानसभा (vidhansabha)टिकट दिए हैं। दरअसल, यह नारा कांग्रेस की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है। उन्नाव और हाथरस रेप पीड़ित के परिवार की किसी महिला को टिकट देकर कांग्रेस यूपी की योगी सरकार के खिलाफ चुनाव के मैदान में भाजपा के ऊपर हमलावर होना चाहती थी। कांग्रेस अपनी मुहिम के तहत उन्नाव रेप पीड़ित की मां आशा सिंह को मनाने में तो कामयाब रही, लेकिन हाथरस की रेप पीड़ित के परिवार ने माफी और विनम्रता के साथ पार्टी का ऑफर ठुकरा दिया है।

 'डेढ़ साल हो गया, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला'
पीड़िता के छोटे भाई ने कहा, 'मामला अभी कोर्ट में चल रहा है।  डेढ़ साल हो गया, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला।  इसलिए हम चुनाव नहीं लड़ सकते। ' उन्होंने कहा कि तक किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया है।  हमारा मकसद सिर्फ बहन को न्याय दिलाना है,  अगर कोई हमसे संपर्क करना चाहता है, तो उसका स्वागत है।  लेकिन अभी तक हमसे किसी ने संपर्क नहीं किया है। ' उन्नाव रेप पीड़िता की मां को टिकट देने के कांग्रेस के फैसले के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उस मामले में फैसला सुनाया जा चुका है और आरोपी को दोषी ठहराया गया है। 
 
हाथरस के गांव में 14 सितंबर 2020 को हुई रेप की घटना के बाद जब पत्रकार ग्राउंड रिपोर्ट कर रहे थे उस वक्त भी गांव में दलितों के साथ गहरे भेदभाव की बातें सामने आईं थीं। एक ठाकुर महिला ने साफ कहा था कि 'इस परिवार के लोग बुजुर्ग ठाकुरों को देखकर अपनी साइकिल से उतर जाते हैं और पैदल चलते हैं ताकि किसी ठाकुर को ये ना लगे कि उनके सामने ये लोग साइकिल से चल रहे हैं, उनकी बराबरी कर रहे हैं।' दलित परिवार के घर हुई इस वारदात के बाद भी गांव के ऊंची जाति के लोग उनसे दुख साझा करने तक नहीं पहुंचे थे, उलटे ठाकुरों पर लगाए गए इस आरोप पर वे दलितों को ही आड़े हाथों ले रहे थे। जब इस केस की बरसी के वक्त हमारी रिपोर्टर वहां गई थी, तो एक ठाकुर महिला ने कहा था कि हम इन्हें छूते तक नहीं तो रेप करने की बात तो बहुत दूर है। और तकरीबन डेढ़ साल बाद भी पूरा परिवार खौफ के साए में जी रहा है।
 

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