हिंदू शरणार्थी का दर्द: बहू बेटियों का घर से निकलना था दूभर, पुलिस देती है कट्टरपंथियों का साथ

Published : Dec 19, 2019, 01:46 PM ISTUpdated : Dec 19, 2019, 02:08 PM IST
हिंदू शरणार्थी का दर्द: बहू बेटियों का घर से निकलना था दूभर, पुलिस देती है कट्टरपंथियों का साथ

सार

पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को जिन हालात से गुजरना पड़ता था उसका दर्द बयां करते हुए उनकी रूह कांप जाती है। महिलाओं पर होने वाली उत्पीड़न की घटनाएं तो आम बात हैं।

नई दिल्ली. पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को जिन हालात से गुजरना पड़ता था, उसका दर्द बयां करते समय उनकी रूह कांप जाती है। महिलाओं पर होने वाली उत्पीड़न की घटनाएं तो आम बात हैं। पुलिस भी वहां अत्याचार करने वाले कट्टरपंथी मुसलमानों का साथ देती है। दिल्ली के हिंदू रिफ्यूजी कैंप में रह रहे बसंतलाल ने Asianet News Hindi को बताया कि पाकिस्तान में हिंदुओ का जीना दूभर है। बता दें, बसंतलाल अपने परिवार के साथ साल 2013 में पाकिस्तान से भारत आए थे। 

बसतंलाल पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहते थे। उन्होंने बताया, हम किसान थे। खेती किसानी ही आय का जरिया थी। लेकिन वहां के हालात पर कुछ कहने का साहस नहीं जुटा पा रहा हूं। वहां हिंदुओ की बहू- बेटियों की बहुत दुर्दशा थी। कट्टरपंथी मुसलमान हिंदुओं की बहन-बेटियों के साथ छेड़खानी करते थे लेकिन पुलिस हमेशा उन्हीं का साथ देती थी। हम इस कदर प्रताड़ित किए जाते थे कि हमारा कम्प्लेन भी दर्ज नहीं की जाती थी। 

महिलाओं की सुरक्षा कर पाना मुश्किल था...

 
बसंतलाल के मुताबिक, हम कोशिश करते थे कि हमारे घर की महिलाएं बाहर ना निकलें। उनके बाहर जाने पर हमेशा असुरक्षा बनी रहती थी। कट्टरपंथी मुसलमानों की गंदी निगाहें हरदम हिंदू महिलाओं पर होती थी। किसी भी महिला के साथ छेड़खानी करने के बाद पुलिस उन्हीं का साथ देती थी। हमारा जीवन वहां नर्क से भी बदतर था। 

CAA से हमें मिला है नया जीवन 
बसंतलाल ने बताया कि हम खुशहाल जीवन की आस ही खो चुके थे। लेकिन सरकार द्वारा बनाए गए CAA कानून से हमारी खोई हुई आस फिर से वापस आ गई है। हम भी अपने परिवार के साथ खुशहाल रह पाएंगे। इस बात की कल्पना से ही मन खुशी से भर जाता है। सबसे ज्यादा खुशी ये है कि हमे उस नर्क के जीवन से निजात मिलेगी।

क्या है संशोधित नागरिकता कानून?

संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act 2019) के बाद पड़ोसी देशों से भागकर भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी। ये नागरिकता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और फारसी धर्म के लोगों को दी जाएगी। नागरिकता उन्हें मिलेगी जो एक से छह साल तक भारत में रहे हों। 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए लोगों को नागरिकता दी जाएगी। अन्य धर्म के लोगों को नागरिकता के लिए भारत में 11 साल रहना जरूरी है।

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