योगी आदित्यनाथ के करीबी रहे सुनील सिंह सपा में शामिल, मुलायम बोले कभी बूढ़ी नहीं होगी सपा

हिंदू युवा वाहिनी भारत पार्टी के अध्यक्ष सुनील सिंह ने शनिवार को समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की मौजूदगी में सुनील सिंह ने पार्टी का सपा में विलय करने का ऐलान किया।

Asianet News Hindi | Published : Jan 18, 2020 10:14 AM IST / Updated: Jan 18 2020, 03:52 PM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh). हिंदू युवा वाहिनी भारत पार्टी के अध्यक्ष सुनील सिंह ने शनिवार को समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की मौजूदगी में सुनील सिंह ने पार्टी का सपा में विलय करने का ऐलान किया। इस दौरान मुलायम ने कहा, अब सही मायनों में सपा नौजवानों की पार्टी हो गई है। इसकी कमान नौजवानों के हाथों में है। यह कभी बूढ़ी नहीं होगी। बता दें, सुनील के साथ बसपा से निष्काषित सीएल वर्मा ने भी सपा की सदस्यता ग्रहण की। 

अभी और बड़े नाम सपा में होंगे शामिल
मुलायम ने कहा, सपा नौजवानों की पार्टी है। युवा नेता जनता को पार्टी की विचारधारा बताएंगे। मैं उनका स्वागत करता हूं, पार्टी की कमान नौजवानों के हाथों में होगी। नौजवान ही पार्टी का भविष्य हैं। वहीं, अखिलेश यादव ने कहा, सुनील सिंह और सीएल वर्मा का पार्टी में स्वागत है। साथ ही हिन्दू युवा वाहिनी भारत के सभी साथियों का सपा में स्वागत करता हूं। अभी बहुत लोग पार्टी में आने को तैयार हैं। इंतजार करिए बड़े नम सपा में शामिल होंगे।

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योगी सरकार ने सिर्फ शिगूफा दिया
सुनील सिंह ने सपा में शामिल होने के बाद कहा, योगी सरकार ने 3 साल में विकास के नाम पर सिर्फ शिगूफा दिया। अखिलेश में युवा उम्मीद देख रहा हूं। इसी कारण समाजवादी पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।

कौन हैं सुनील सिंह
ये साल 2002 में हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष बने। काफी समय तक योगी आदित्यनाथ के करीबियों में शामिल रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले बगावत कर योगी आदित्यनाथ के मना करने के बावजूद बीजेपी के खिलाफ प्रत्याशियों की घोषणा की। इसके बाद इन्हें वाहिनी से निकाल दिया गया। बाद में 2018 में इन्होंने हिंदू युवा वाहिनी (भारत) नाम से नया संगठन बना लिया। गोरखपुर में थाने में तोड़-फोड़ समेत अन्य मामलों में इन्हें 2018 में जेल भेजा गया। बाद में एनएसए भी लगाया गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से पर्चा भरा, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। 

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