कार्यक्रम के दौरान प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय शैक्षणिक संबंधों में शामिल होने का यह सही समय है। इसी के साथ उन्होंने शोधकर्ताओं और छात्रों को उनकी शैक्षणिक गतिविधियों और शोध के लिए आईआईटी (बीएचयू) आने के लिए आमंत्रित करने में भी रुचि दिखाई।
अनुज तिवारी
वाराणसी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), वाराणसी और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू), ऑस्ट्रेलिया के शिक्षाविदों ने अकादमिक और अनुसंधान सहयोग के लिए संयुक्त बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने की। उक्त बैठक में आईआईटी (बीएचयू) और एएनयू के बीच संयुक्त सहयोग, छात्र और संकाय आदान-प्रदान के विभिन्न तरीकों पर चर्चा की गई। दोनों संस्थानों के बीच संयुक्त पीएचडी डिग्री के मामले में दीर्घकालिक लक्ष्य पर भी चर्चा हुई। बैठक में ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (एएनयू) रिसर्च स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड इंजीनियरिंग में भौतिकी के प्रतिष्ठित प्रोफेसर प्रो. जगदीश चेन्नुपति के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल शामिल रहा, इसमें प्रो. एलेक्जेंडर मिखेवंद और जयपोरिया उपस्थित रहे। संस्थान की तरफ से प्रो. श्याम बिहारी द्विवेदी, प्रो. रजनीश त्यागी, प्रो. लाल प्रताप सिंह, प्रो. राजीव श्रीवास्तव, डॉ. संतोष कुमार सिंह, डॉ. संजीव कुमार महतो, और डॉ. प्रांजल चंद्रा उपस्थित रहे।
पहले चरण में 12 सप्ताह तक सहयोगी अनुसंधान करने का मिलेगा अवसर
इस अवसर पर प्रो. जगदीश ने ’चेन्नूपति और विद्या जगदीश इंडोमेंड फंड’ के बारे में अवगत कराया, जिसके माध्यम से उन्हें यह सुनिश्चित करने की उम्मीद है कि आईआईटी (बीएचयू) के शोधकर्ता इंटर्नशिप और प्रोजेक्ट फेलो के माध्यम से अनुसंधान सुविधाओं का दौरा कर सकते हैं और उन तक पहुंच सकते हैं। प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन, निदेशक, आईआईटी (बीएचयू) ने मूल्यांकन किया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से आईआईटी (बीएचयू) और एएनयू के बीच दीर्घकालिक संबंध और अनुसंधान सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह छात्रों और शोधकर्ताओं को एएनयू में अध्ययन करने और पहले चरण में 12 सप्ताह तक सहयोगी अनुसंधान करने का अवसर देगा। प्रो. जैन ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय शैक्षणिक संबंधों में शामिल होने का यह सही समय है। प्रो. जैन ने शोधकर्ताओं और छात्रों को उनकी शैक्षणिक गतिविधियों और शोध के लिए आईआईटी (बीएचयू) आने के लिए आमंत्रित करने में भी रुचि दिखाई।
प्रो. जगदीश ने व्यक्त किया आभार
विभिन्न विभागों और स्कूलों के संकाय सदस्यों ने ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की और प्रारंभिक करियर अनुसंधान विकास, उभरते अनुसंधान विषयों और वर्तमान समय में विज्ञान की प्रमुख समस्याओं को हल करने के लिए बाधाओं को कैसे दूर किया जाए, इस पर विचारों का आदान-प्रदान किया। प्रो. जैन ने संकाय सदस्यों को उन प्रौद्योगिकियों पर काम करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जो अंततः विफलताओं के डर के बिना उद्यमिता की ओर ले जा सकती हैं। प्रो. जगदीश ने कहा कि मैं अपने जीवन में अवसरों के लिए आभारी हूं और दूसरों के लिए अवसर प्रदान करना चाहता हूं। आईआईटी (बीएचयू) के शोधकर्ताओं से समाज को कुछ वापस देने के लिए हमेशा उत्साह रखने का आग्रह किया।
अनुसंधान के सीमावर्ती क्षेत्रों समेत कई विषय पर हुई चर्चा
प्रो. जगदीश ने अपने ज्ञानवर्धक व्याख्यान के माध्यम से आईआईटी (बीएचयू) के युवा, जिज्ञासु और गतिशील छात्रों के साथ भी बातचीत की। नैनोटेक्नोलॉजी, फोटोनिक्स, हेल्थकेयर और टिकाऊ ऊर्जा सहित भौतिकी में अनुसंधान के सीमावर्ती क्षेत्रों सहित कई विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रो. एलेक्जेंडर मिखेयेव ने मधुमक्खियों को मॉडल जीवों के रूप में इस्तेमाल करते हुए अपने मेजबानों के साथ परजीवी/बीमारियों के सहविकास के बारे में बात की। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की जांच किसी भी भविष्य की महामारी की गंभीरता का अनुमान लगाने में मददगार होगी और इस संबंध में भारत की एक बड़ी भूमिका है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की तुलना में भारत में आनुवंशिक रूप से विविध मधुमक्खी प्रजातियों की अधिकता पाई जाती है, जबकि आस्ट्रेलिया में केवल कुछ ही प्रजातियां हैं। प्रो. प्रमोद जैन ने आईआईटी (बीएचयू) की यात्रा के लिए ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल को धन्यवाद दिया और छात्र के नामांकन के मामले में हर संभव सहायता प्रदान करना और एएनयू और आईआईटी (बीएचयू) के बीच शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करना सुनिश्चित किया।
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