दलित का मकान कब्जा करवाने पर पूरी चौकी को किया गया लाइन हाजिर, जांच के दायरे में आए ये अधिकारी भी

कानपुर में दलित के मकान पर कब्जा करवाने के आरोप में पूरी पुलिस चौकी को लाइन हाजिर कर दिया गया है। इसी के साथ एसीपी और इंस्पेक्टर की भूमिका की जांच भी जारी है। यह पूरा मामला प्लाट और मकान की कब्जेदारी से शुरू हुआ था। 

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) में पूरी यादव मार्केट पुलिस चौकी (Yadav Market Police Chawki) को लाइन हाजिर किए जाने का मामला सामने आया है। डीसीपी साउथ ने मंगलवार को बर्रा में दलित परिवार को प्रताड़ित कर उसका मकान कब्जा कराने के मामले में चौकी को लाइन हाजिर कर दिया है। चौकी में तैनात इंचार्ज समेत समेत तीन दरोगा, 4 हेड कांस्टेबल और 7 सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है। इतना ही नहीं इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। 

इस मामले में चौकी को लाइन हाजिर करने के बाद एसीपी गोविंद नगर और बर्रा इंस्पेक्टर की भूमिका की जांच भी की जा रही है। माना जा रहा है कि इस जांच के बाद एक्शन एक बार फिर से देखने को मिल सकता है। 

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कब्जे के दौरान दिखी की पुलिसकर्मियों की मौजूदगी 
बर्रा निवासी महादेव के मकान पर उमराव नाम के व्यक्ति ने कब्जा किया था। यह कब्जा फरवरी में किया गया था। गौर करने वाली बात है कि कब्जे के दौरान पुलिसकर्मियों की मौजूदगी भी वहां पर थी। जिसके बाद मामले की शिकायत उच्चाधिकारियों तक पहुंची। इस मामले की जांच एडीसीपी साउथ मनीष सोनकर को सौंपी गई। 

प्रारंभिक जांच के बाद ही एडीसीपी ने पूरी चौकी पर कार्रवाई करने की संस्तुति की थी। हालांकि बाद में डीसीपी साउथ रवीना त्यागी ने 14 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की। इन सभी को लाइन हाजिर कर दिया गया। इस बीच जानकारी दी गई की इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच भी की जाएगी। जांच की रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें दंडित किया जाएगा। माना जा रहा है कि जो भी पुलिसकर्मी दिख रहे हैं उन पर केस दर्ज हो सकता है। 

यह है पूरा मामला 
वर्ष 2014 में बर्रा के रहने वाले महादेव ने अपना मकान बेचने के लिए उमराव नाम के शख्स से 35 लाख रूपए की डील हुई थी। इस दौरान उमराव ने 10 लाख रूपए और 8 लाख के प्लॉट की रजिस्ट्री महादेव के नाम पर कर दी। इसके बाद महादेव ने भी अपने मकान की रजिस्ट्री उमराव को कर दी। लेकिन इस बीच शेष रकम न मिलने पर महादेव ने कब्जा नहीं छोड़ा। 

शेष रकम न मिलने के बीच में ही उमराव ने प्लॉट की रजिस्ट्री को फर्जी बता दिया और महादेव पर केस दर्ज करवा दिया। जिसके बाद महादेव ने भी सिविल केस दायर कर दिया। इन सब के बीच ही दिसंबर 2021 में उमराव ने कोर्ट को गुमराह करते हुए यह दावा कर दिया कि मकान पर उसी का कब्जा है। जिसके बाद कोर्ट ने उसी के पक्ष में आदेश भी दे दिया। हालांकि 23 फरवरी को उमराव ने मकान पर कब्जा कर महादेव के परिवार को वहां से बेघर कर दिया। मकान और प्लाट की रजिस्ट्री को लेकर सामने आए इस पूरे विवाद के बीच पुलिसकर्मियों पर यह एक्शन सामने आया है। 

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