यूपी के इस गांव में CM योगी के नाम पर जलता है दिवाली का दीया, ढाईं दशक से चली आ रही ये परंपरा आज भी है बरकरार

Published : Oct 19, 2022, 06:09 PM IST
यूपी के इस गांव में CM योगी के नाम पर जलता है दिवाली का दीया, ढाईं दशक से चली आ रही ये परंपरा आज भी है बरकरार

सार

यूपी के गोरखपुर के कुसम्ही जंगल स्थित वनटांगिया गांव के लोग सीएम योगी के नाम पर दीपावली का त्यौहार मनाते हैं। वर्ष 2009 से शुरू हुई ये परंपरा आज तक बरकरार है। वहीं सीएम योगी भी हर वर्ष वनटांगिया समुदाय के लोगों के साथ ही दीपोत्सव का पर्व मनाते हैं। 

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के पास एक ऐसा गांव है, जहां पर सीएम योगी आदित्यनाथ के बिना दीपावली का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। इस गांव में दीपोत्सव पर्व पर हर दीप 'योगी बाबा' के नाम से जलता है। बताया जाता है कि साल दर साल यह परंपरा ऐसी मजबूत हो गई है कि 60 साल के बुजुर्ग भी बच्चों की तरह जिद करते है। बुजुर्ग जिद पकड़कर बैठ जाते हैं कि अगर बाबा उनके साथ दीपत्सव मनाने नहीं आएंगे तो वह दीया नहीं जलाएंगे। आपको बता दें कि यह गांव गोरखपुर के कुसम्ही जंगल स्थित वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नंबर तीन। इस गांव के निवासी सीएम योगी आदित्यनाथ को "बाबा" कहकर पुकारते हैं। ढाई दशक पहले जब योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सासंद और गोरक्षपीठ उत्तराधिकारी के उत्तराधिकारी थे, तब से वह वनटांगियों के साथ दिवाली मनाते आ रहे हैं। 

सीएम योगी ने दिया था इस गांव के लोगों को सहारा
यह परंपरा योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद भी जारी है। सीएम योगी के दीपावली त्यौहार की शुरूआत इसी गांव से होती है। हर बार की तरह इस बार भी वनटांगिया गांव के लोगों को सीएम योगी के बस्ती आने का इंतजार है। सीएम योगी ने इन लोगों का साथ तब दिया जब इन लोगों के पास दूसरा कोई सहारा नहीं था। ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई। इसकी भरपाई के लिए बर्तानिया सरकार ने साखू के नए पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया। साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की टांगिया विधि का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए।

गुलामों के जैसै जी रहे थे जिंदगी
वर्ष 1918 में कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नंबर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां बसीं। इस दौरान देश भले ही आजाद हो गया लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा। इस समुदाय के लोगों के पास अपने देश की नागरिकता तक भी नहीं थी। जब वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने तो उनके संज्ञान में इस समुदाय के लोगों की परेशानियां आई। इस दौरान जानकारी मिली कि वनटांगिया बस्तियों में नक्सली अपनी गतिविधियों को रफ्तार देने की कोशिश में हैं। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी।

सीएम योगी ने लड़ी थी समुदाय के हक की लड़ाई
वनटांगिया समुदाय के लोगों को शिक्षा और समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ ने मुकदमा तक झेला है। सीएम योगी ने अपने नेतृत्व वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कॉलेज व एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ को काम में लगाया. जंगल तिनकोनिया नंबर तीन वनटांगिया गांव में 2003 से शुरू ये प्रयास 2007 तक आते आते एक साकार रूप लेने लगे और शिक्षा के आने से धीरे-धीरे ये बस्तियां विकसित हुईं। सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल के पहले साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्रम का दर्जा दे दिया। राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने के बाद वनटांगिया समुदाय के लोग हर उस सुविधा के अधिकारी हो गए, जो एक सामान्य नागरिक को मिलती है।  

कुछ ऐसे शुरू हुई वनटांगियों संग सीएम योगी की दिवाली
अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में सीएम योगी ने वनटांगिया गांव के लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए उन्हें आवास, बिजली, पानी, स्कूल सड़क आदि की सुविधाएं मुहैया करवाई गईं। इस गांव के निवासी बताते हैं कि गांव में जितना भी काम दिखता है वह सब बाबा यानि की सीएम योगी ने ही करवाया है। वनटांगिया समुदाय के लोगों को समान्य नागिरक का अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ने वाले सीएम योगी ने वर्ष 2009 से इस समुदाय के लोगों के साथ दीपोत्सव के पर्व को मनाना शुरू किया था। वर्ष 2009 में पहली बार इस समुदाय के लोगों को जंगल के अलावा बाहर की दुनिया के बारे में पता चला था। हर बार की तरह इस बार भी वनटांगिया गांव के लोग सीएम योगी के आने की तैयारियों में जुटे हैं। 

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