दो साल में 25 करोड़ बढ़ गया माघ मेले का बजट, इसके बाद भी सुविधाओं का अकाल

प्रयागराज में सनगम की रेती पर लगने वाले माघ मेले का बजट पिछले दो साल में 25 करोड़ बढ़ गया। लेकिन इसके बावजूद बजी माघ मेले में सुविधाओं का अकाल ही बना हुआ है। सुविधाओं की कमी से देश भर से आए कल्पवासियों व साधु संतों को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। माघ मेला प्रशासन इससे अनजान बना हुआ है। 

प्रयागराज(Uttar Pradesh ). प्रयागराज में सनगम की रेती पर लगने वाले माघ मेले का बजट पिछले दो साल में 25 करोड़ बढ़ गया। लेकिन इसके बावजूद बजी माघ मेले में सुविधाओं का अकाल ही बना हुआ है। सुविधाओं की कमी से देश भर से आए कल्पवासियों व साधु संतों को कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। माघ मेला प्रशासन इससे अनजान बना हुआ है। 

बता दें कि संगम की रेती पर हर साल लगने वाले माघ मेले का बजट साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। पिछले पांच सालों में माघ मेले के बजट पर गौर करें तो इसका बजट 35 करोड़ तक बढ़ गया। लेकिन  बावजूद इसके माघ मेले में सुविधाओं का अकाल बना हुआ है। मेला क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या शौचालय के लिए है। तीर्थ पुरोहितों द्वारा बसाई गई टेंट सिटी में इसकी बड़ी समस्या है। तीर्थ पुरोहितों द्वारा कल्पवासियों के लिए बसाई गई टेंट सिटीज में सभी मूलभूत सुविधाओं का अकाल दिख रहा है। 

Latest Videos

साल 2000 में साढ़े तीन करोड़ रूपए था मेले का बजट 
माघ मिली का बजट साल 2000 में साढ़े तीन करोड़ था। उस समय इन्ही साढ़े तीन करोड़ रूपए से मेले को भव्य स्वरूप दिया गया था। जिसके बाद साल दर साल मेले का बजट बढ़ता रहा। 2010 में यह बजट बढ़ कर 10 करोड़ रूपए हो गया। साल 2010 में भी मेले का स्वरूप काफी बड़ा था। उस समय भी कल्पवासियों की मूलभत सुविधाओं के लिए तमाम प्रबंध किए गए थे। 

किसी भी मोबाईल नेटवर्क से नहीं होती बात 
माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को इन दिनों सभी मोबाइल का नेटवर्क ध्वस्त होने से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मेले में कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं को अपने परिचितों व घरवालों से बात करने में काफी समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है। बात करने के लिए 8 से 10 किमी की दूरी तय कर शहर के नजदीक जाना पड़ रहा है। जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है। 

बीते दो सालों में बढ़ गया 25 करोड़ का बजट 
माघ मेले का बजट साल दर साल 5 से 10 करोड़ रूपए बढ़ता रहा है। पिछले दो सालों में माघ मेले की बजट की बात करें तो साल 2018 की अपेक्षा इस बार बजट सीधे 25 करोड़ बढ़ गया है। साल 2018 में माघ मेले का बजट 35 करोड़ रूपए था। जबकि 2020 में ये बजट बढ़ाकर सीधे 60 करोड़ रूपए कर दिया गया। इसके बावजूद भी मेले में सुविधाओं के नाम पर अकाल ही है। शौचालय, नल आदि के नाम पर तीर्थ पुरोहित व साधु सन्यासी रोजाना हंगामा करते रहते हैं। ऐसे में कहीं न कहीं माघ मेला प्रशासन की तैयारियों सवालिया निशान लग रहा है। 

अफसर बोले हर साल बढ़ जाती है संस्थाओं की संख्या 
इस बारे में माघ मेला प्रभारी रजनीश मिश्र ने बताया कि हर साल संस्थाओं में आपसी मतभेद के बाद नई संस्थाएं बन जाती हैं। जिसके बाद उनको भी सुविधाएं देनी पड़ती हैं। इससे माघ मेले का बजट बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा कल्पवासियों व संस्थाओं का हर मूलभूत सुविधा देने का पूरा प्रयास किया गया है। 24 जनवरी को मौनी अमावस्या पर्व को देखते हुए तैयारियां की जा रही हैं। 

Share this article
click me!

Latest Videos

शर्मनाक! सामने बैठी रही महिला फरियादी, मसाज करवाते रहे इंस्पेक्टर साहब #Shorts
SC on Delhi Pollution: बेहाल दिल्ली, कोर्ट ने लगाई पुलिस और सरकार को फटकार, दिए निर्देश
Maharashtra Election Result: जीत के बाद एकनाथ शिंदे का आया पहला बयान
Jharkhand Election Exit Poll: कौन सी हैं वो 59 सीट जहां JMM ने किया जीत का दावा, निकाली पूरी लिस्ट
Sishamau By Election Result: जीत गईं Naseem Solanki, BJP के Suresh Awashthi ने बताई हार की वजह