Inside Story:इन 5 नेताओं की बसपा थी पहचान, अब देवरिया की 5 सीट पर भाजपा से टिकट के लिए परेशान

ऐसे में हाथी से उतरकर यह सभी नेता इस बार भाजपा से टिकट मांग रहे हैं। हालांकि इनके शामिल होने से भाजपा के कैडर बेस कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। अब देखना है कि टिकट के लिए दल-बदल करने वाले नेताओं में किसकी किस्मत चमकती है और कौन फेल होता है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 25, 2022 1:15 PM IST

अनुराग पाण्डेय 
गोरखपुर:
उत्तर प्रदेश में चुनाव की घोषणा के बाद कई नेता मजबूत ठिकाना खोजने के लिए दल बदल रहे हैं। गोरखपुर मंडल के देवरिया जिले में भी यही देखने को मिल रहा है। यहां पर पिछले चुनाव में देवरियाा की अलग—अलग सीटों से बसपा से ताल ठोकने वाले 5 नेता इस बार भाजपा में शामिल हो गए हैं। साल 2017 का चुनाव बसपा लड़ते हुए हार मिली थी, अब इन नेताओं को भाजपा में ही जीत की उम्मीद नजर आ रही है। ऐसे में हाथी से उतरकर यह सभी नेता इस बार भाजपा से टिकट मांग रहे हैं। हालांकि इनके शामिल होने से भाजपा के कैडर बेस कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। अब देखना है कि टिकट के लिए दल-बदल करने वाले नेताओं में किसकी किस्मत चमकती है और कौन फेल होता है।

सात विधानसभा में 6 पर भाजपा का कब्जा
देवरिया जिले में 7 विधानसभा सीटे हैं। 2017 के चुनाव में 6 सीटें भाजपा को मिली और एक सीट सपा के खाते में आई थी। बसपा और कांग्रेस का जिले से सफाया हो गया था। भाजपा का बढ़ा ग्राफ देखकर पिछली बार बसपा से चुनाव लड़ चुके नेताओं ने दल-बदलकर भाजपा की सदस्यता ले ली। पाला बदलने वाले सभी नेता भाजपा में अपने लिए सियासी ठौर की तलाश कर रहे हैं। ऐसे में पिछले चुनाव में जो प्रत्याशी एक दूसरे के खिलाफ तलवारें भांज रहे थे। इस चुनाव में सभी एक साथ नजर आएंगे ।

पहले हारे चुनाव अब भाजपा से मांग रहे टिकट
देवरिया सदर विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बसपा से अभय नाथ तिवारी उम्मीदवार थे। अभयनाथ भाजपा के जन्मेजय सिंह से चुनाव हार गए और तीसरे नंबर पर पहुंच गये थे। 2019 में जन्मेजय सिंह के निधन के बाद देवरिया सदर सीट पर उपचुनाव हुआ। इसमें अभय नाथ तिवारी दोबारा बसपा से उम्मीदवार थे। इस बार भी तिवारी तीसरे स्थान पर ही रहे और भाजपा के डॉक्टर सत्यप्रकाश मणि ने जीत हासिल की। उपचुनाव हारने के बाद अभय नाथ तिवारी ने बसपा छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली। तिवारी 2022 के चुनाव में जिले की रामपुर कारखाना विधानसभा सीट से भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदार हैं।

कद्दावर नेता भी हो गए भाजपाई
जिले की चर्चित मानी जाने वाली पथरदेवा विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में नीरज वर्मा बसपा से प्रत्याशी थे। मगर नीरज वर्मा न केवल चुनाव हार गए थे बल्कि तीसरे स्थान पर पहुंच गए थे। यहां से कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जीत हासिल की और सपा दूसरे नंबर पर थी। नीरज वर्मा को भी भाजपा में जीत नजर आ रही है और वह भी सदर सीट से टिकट के दावेदार हैं। बरहज विधानसभा सीट पर भाजपा के सुरेश तिवारी विधायक हैं। बीते चुनाव में यहां से मुरली मनोहर जायसवाल बसपा के प्रत्याशी थे। मगर मुरली चुनाव हार गए और दूसरे नंबर पर थे। मुरली मनोहर के पिता स्व. रामप्रसाद जायसवाल भी इस सीट से पूर्व में बसपा के विधायक रह चुके हैं। मुरली मनोहर को भी भाजपा में ही जीत की उम्मीद नजर आ रही है और वह भी भाजपा से बरहज विधानसभा सीट का टिकट मांग रहे हैं।

बसपाई रहे सभा कुंवर भी भाटपार से आजमाना चाहते हैं भाग्य
बिहार बॉर्डर पर स्थित भाटपाररानी विधानसभा सीट बरसों से समाजवादी पार्टी के कब्जे में है। 2017 के चुनाव में भी यहां से सपा के आशुतोष उपाध्याय ने जीत दर्ज की थी जबकि भाजपा के जयनाथ दूसरे नंबर पर थे और बहुजन समाज पार्टी के सभा कुंवर कुशवाहा तीसरे नंबर पर थे। सभा कुंवर कुशवाहा पूर्व में कांग्रेस से भी चुनाव लड़ चुके हैं। मगर उन्हें सफलता नहीं मिली थी। भाजपा का बढ़ता ग्राफ देखकर सभा कुंवर भी भाजपा में ही सियासी ठौर तलाश रहे हैं और भाटपार रानी से भाजपा का टिकट मांग रहे हैं।

सलेमपुर के रणविजय को भी चाहिए कमल का साथ
जिले की सलेमपुर विधानसभा सीट सुरक्षित सीट है। वर्तमान में यहां से भाजपा के काली प्रसाद विधायक है। 2017 के चुनाव में बसपा के रणविजय तीसरे नंबर पर थे ।हारने के बाद रणविजय ने भी दल बदल लिया और भाजपा ज्वाइन कर ली। वह सलेमपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए भाजपा से टिकट मांग रहे हैं।अब देखना है कि दल बदल के इस खेल में किसकी किस्मत चमकती है और कौन फेल होता है।

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