Inside Story: लाइम लाइट में रहने को CM योगी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे चंद्रशेखर आजाद?

आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद के गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के ऐलान के क्या मायने हैं, इसे समझने की कोशिश की एशियानेट हिंदी ने। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह चंद्रशेखर का सिर्फ मीडिया मैनेजमेंट स्टंट है।

दिव्या गौरव त्रिपाठी,
लखनऊ:
भीम आर्मी के सहसंस्थापक और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने गोरखपुर शहर सीट से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यह वही सीट है, जहां से राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Aditiyanath) भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार हैं और इसे भाजपा की सबसे मजबूत सीट माना जा रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि चंद्रशेखर (Chandrashekhar) ने वही सीट क्यों चुनी, जो सामने वाली पार्टी के लिए सबसे मजबूत है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो चंद्रशेखर यूपी विधानसभा चुनाव में जीत के लिए लड़ ही नहीं रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत मिश्रा कहते हैं, 'चंद्रशेखर के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी पार्टी को खड़ा करने की थी। वो पहले भी चुनाव लड़ते रहे हैं लेकिन सफलता नहीं मिली। यूपी चुनाव पर पूरे देश की नजर है, खासकर योगी आदित्यनाथ की सीट पर। ऐसे में चंद्रशेखर अगर गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ेंगे तो बिना किसी मेहनत के लाइमलाइट में आ जाएंगे।' मिश्रा के मुताबिक, चंद्रशेखर भी जानते हैं कि वह यह चुनाव कभी नहीं जीत सकते, लेकिन फिर भी वह यह संदेश देना चाहते हैं कि वह प्रदेश की सबसे बड़ी ताकत के खिलाफ लड़ रहे थे।

'अरविंद केजरीवाल के कदमों पर चल रहे आजाद'
एशियानेट हिंदी से खास बातचीत में प्रशांत ने कहा, 'चंद्रशेखर पहले भी कहते रहे हैं कि वो दलितों के लिए योगी सरकार के खिलाफ लड़ते रहे हैं। अब गोरखपुर शहर से चुनाव लड़कर वो अपने इस दावे को धार देने का काम कर रहे हैं। यही बात उन्होंने टिकट की घोषणा होने के बाद अपने ट्वीट में भी कही थी कि मैं पिछले पांच साल से लड़ रहा हूं। मैं लड़ता रहूंगा। जय भीम, जय मंडल, बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय।' मिश्रा ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर इस चुनावी समर में उतरे हैं, उन्हें पता है कि उनको कुछ मिलने वाला नहीं, लेकिन कुछ खोएगा भी नहीं।
 
तीन मार्च को होगा गोरखपुर में मतदान
आपको बता दें कि 35 वर्षीय आजाद दलित अधिकार संगठन भीम आर्मी के सह संस्थापक हैं और वह इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने मार्च 2020 में आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की शुरुआत की थी, जिसके वह अध्यक्ष हैं। गोरखपुर सदर सीट के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण यानी तीन मार्च को मतदान होना है। मतगणना 10 मार्च को होगी। आजाद हाल तक अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ चुनाव लड़ने के वास्ते गठबंधन के लिए बातचीत कर रहे थे, लेकिन उसके द्वारा केवल दो सीटों की पेशकश किये जाने पर बात नहीं बन पाई। इसके बाद, आजाद ने मंगलवार को कहा था कि उनकी पार्टी अब गठबंधन के लिए सपा से सम्पर्क नहीं करेगी, क्योंकि यह 'आत्मसम्मान' का मामला है। उन्होंने कहा था कि वह चुनाव के लिए नए सहयोगी खोजने के लिए तैयार हैं।

BHU की एबीवीपी इकाई ने किया केंद्रीय कार्यालय का घेराव, VC को सौंपा 12 सूत्रीय माँग पत्र

Latest Videos

Share this article
click me!

Latest Videos

बदल गया दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम, जानें क्या है नया नाम? । Birsa Munda Chowk
UPPSC Student Protest: डिमांड्स पूरी होने के बाद भी क्यों जारी है छात्रों का आंदोलन, अब क्या है मांग
जमुई में हाथ जोड़कर आगे बढ़ रहे थे PM Modi फिर ये क्या बजाने लगे? झूमते दिखे लोग । PM Modi Jamui
'मुझे लव लेटर दिया... वाह मेरी महबूबा' ओवैसी का भाषण सुन छूटी हंसी #Shorts
CM योगी आदित्यनाथ ने गिना दिया बंटने से अब तक क्या-क्या हुआ नुकसान #Shorts