Inside Story: कोरोना के चलते चुनाव आयोग की पाबंदी बना व्यापारियों के जी का जंजाल, देखिए क्या है परेशानी

5 साल चुनाव का इन्तेजार करते करते कट गए, फिर इन ही दुकानदारों पर कोरोना की मार भी पड़ गयी। आलम ये है कि दुकानदारों के पास अब एक भी आर्डर नही है। दुकानदारों ने बताया कि इससे पहले आर्डर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के समय मिला था और उससे पहले अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की जनसभा के लिए मिला था तब से अब तक कोई भी आर्डर चुनाव सामग्री के लिए प्राप्त नहीं हुआ।
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 25, 2022 9:53 AM IST / Updated: Jan 25 2022, 03:27 PM IST

अनमोल शर्मा
मेरठ:
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग ने आगामी विधानसभा चुनाव (UP  Vidhansabha  CHunav  2022) के लिए कई पाबंदियां लगा दी जो अब चुनाव सामग्री बेचने वाले छोटे दुकानदारों के लिए ग्रहण बनी हुई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई पार्टी का प्रत्याशी जनसभाओं को संबोधित नहीं कर सकता, रैलियां नहीं निकाल सकता और अब आचार संहिता लगने के बाद कहीं पर अपने झंडे भी नहीं लगा सकता। इसी के चलते मेरठ के चुनाव सामग्री बेचने वाले दुकानदार अपनी दुकान पर बैठे मक्खियां मार रहे हैं।

कोरोना की मार फिर पाबंदी का ग्रहण

5 साल चुनाव का इन्तेजार करते करते कट गए, फिर इन ही दुकानदारों पर कोरोना की मार भी पड़ गयी। आलम ये है कि दुकानदारों के पास अब एक भी आर्डर नही है। दुकानदारों ने बताया कि इससे पहले ऑर्डर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम के समय मिला था और उससे पहले अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की जनसभा के लिए मिला था तब से अब तक कोई भी ऑर्डर चुनाव सामग्री के लिए प्राप्त नहीं हुआ।

पाबंदी हटने की उम्मीद नहीं
मेरठ के इंद्रा चौके के पास चुनाव सामग्री बेचने वाले व्यपारियों की दुकानें है जो पिछले कई दशकों से चुनाव सामग्री जैसे पार्टी के झंडे, टोपी, पताके, आदि बनाने का काम करते हैं। दुकानदार आसिफ बताते हैं कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब चुनाव के समय एक भी ऑर्डर प्राप्त नहीं हुआ हो। पहले कोरोनकाल में दुकानें बंद रखनी पड़ी फिर अब जब व्यापार पटरी पर लौटने की उम्मीद थी तब चुनाव आयोग ने प्रचार प्रसार पर पाबंदी लगा दी। अब इलेक्शन तक पाबंदी हटने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

ट्रांसपोर्ट्स को भी नहीं मिल रहे आर्डर
वहीं, दूसरी तरफ ट्रांसपोर्ट का काम करने वाले व्यापारियों पर भी चुनाव आयोग की पाबंदियों का ग्रहण लगा हुआ है। दरअसल जनसभा करने के लिए और भीड़ जुटाने के लिए प्रत्याशी किराए पर कई कई गाड़ियां लिया करते थे बस लिया करते थे जो इस बार पाबंदियों के चलते शून्य हो गया है।

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