13 जनवरी को कांग्रेस से अपना टिकट घोषित होने के बाद बरेली की बहेड़ी सीट से प्रत्याशी संतोष भारती ने कहा था कि यह टिकट उनके लिए सपने जैसा है। सोचा नहीं था कि कांग्रेस यूं टिकट दे देगी। जबकि उनकी सीट से न जाने कितने ही लोग टिकट के लिए पार्टी हाईकमान के चक्कर लगा रहे थे। उन्होंने बताया कि कांग्रेस के लोग 20 दिसंबर को उनके पास आए और कहा कि प्रियंका गांधी चाहती हैं कि आप कांग्रेस ज्वाइन करें।
राजीव शर्मा
बरेली: उत्तर प्रदेश (UP) में प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने कांग्रेस के लिए प्रत्याशी घोषित करने में नए विजन का इस्तेमाल किया है। जिन लोगों को टिकट दिया गया है, उनमें से अधिकांश चेहरों का प्रोफाइल जमीन से जुड़ा है। ऐसे लोगों को मौका देने की कोशिश की गई है, जो फोकस में भले ही नहीं रहे हैं लेकिन वे अपने प्रयासों और संघर्ष से लोगों के बीच पहचान बनाए हुए हैं। पीड़ितों और शोषितों के लिए लड़ते हैं। हक की आवाज बुलंद करने के लिए हर स्तर पर जाने को तैयार रहते हैं। बरेली की बहेड़ी सीट (Bahedi Seat) पर कांग्रेस ने दलित महिला संतोष भारती (Santosh Bharti) को प्रत्याशी बनाया है। छोटे से गांव की प्रधान रहीं, जिला पंचायत सदस्य हैं, पीड़ितों के लिए लड़ती हैं। टीम प्रियंका ने उनके घर पहुंचकर कांग्रेस ज्वाइन कराई और 24 वें दिन प्रत्याशी बना दिया। उनके लिए प्रत्याशी बनना सपने जैसा है।
13 जनवरी को कांग्रेस से अपना टिकट घोषित होने के बाद बरेली की बहेड़ी सीट से प्रत्याशी संतोष भारती ने कहा था कि यह टिकट उनके लिए सपने जैसा है। सोचा नहीं था कि कांग्रेस यूं टिकट दे देगी। जबकि उनकी सीट से न जाने कितने ही लोग टिकट के लिए पार्टी हाईकमान के चक्कर लगा रहे थे। उन्होंने बताया कि कांग्रेस के लोग 20 दिसंबर को उनके पास आए और कहा कि प्रियंका गांधी चाहती हैं कि आप कांग्रेस ज्वाइन करें। मैंने हां बोल दी और उसी दिन कांग्रेस ज्वाइन कर ली। एक दिन लखनऊ बुलाया गया। कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से मुलाकात कराई गई। उन्होंने मेरे बारे में जानकारी ली फिर मैं बहेड़ी लौट आई। बुधवार शाम को कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय एक नेता घर आए थे। बोले- आपको चुनाव लड़ना है। मैंने बोला- मैं तैयार हूं। अगले दिन प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। साथ ही कहा कि प्रियंका ने भरोसा जताया है तो पूरी ताकत से लडूंगी और जीतकर दिखाऊंगी।
सफाई कर्मी की पत्नी ने खुद तय किया है पंचायत सदस्य से जिला पंचायत सदस्य तक का सफर
संतोष भारती बहेड़ी तहसील के गांव गरीबपुर देवीनवादा गांव की निवासी हूं। अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाली 45 वर्षीय संतोष के पति नरेश भारती बहेड़ी ब्लॉक में सफाई कर्मी हैं। आठवीं तक पढ़ी-लिखी संतोष बताती हैं कि साल 2001 में गांव की पूर्व प्रधान रजनी ने उनको एक वार्ड से ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव लड़वाया। वह इन्कार करती रहीं कि चुनाव लड़ना उनके वश की बात नहीं, वह तो मजदूर पेशा हैं लेकिन लड़ाने वाले नहीं माने और वह जीत गईं। बाद में बीडीसी यानी क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव जीतीं फिर अपने गांव की प्रधान रहीं। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा तो वार्ड 12 से पहली बार जीतीं। इस बार पंचायत चुनाव में वह वार्ड 14 से जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुईं।
पीड़ितों को न्याय के लिए करती हैं संघर्ष-
संतोष भारती की आदत है कि वह किसी भी शोषित, पीड़ित और गरीब तबके के लिए न्याय और हक की लड़ाई लड़ती रहती हैं। जिनकी सुनवाई थानों और तहसील में नहीं होती, वह उनके लिए संघर्ष करने पहुंच जाती हैं। जरूरत पड़ने पर धरना-प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं रहतीं। यही वजह है कि लोग उनसे जुड़ते हैं। हर जाति-वर्ग के लोगों के साथ वह खड़ी होती हैं। वह कहती हैं कि यही शोषित और पीड़ित समाज मेरी ताकत है। उनकी इसी पहचान और लोगों के लिए संघर्ष करने के जज्बे की वजह से कांग्रेस ने उनको टिकट के लिए चुना।
2012 में बहेड़ी से निर्दलीय विधानसभा चुनाव भी लड़ा
संतोष भारती बताती हैं कि उन्होंने कभी सपा से अताउररहमान और कभी भाजपा से छत्रपाल सिंह को चुनाव लड़वाया। ये दोनों चुनाव जीतकर विधायक भी बने लेकिन पीड़ितों के लिए संघर्ष में उनके साथ खड़े नहीं हुए। इसको देखकर उन्होंने साल 2012 में बहेड़ी से निर्दलीय चुनाव लड़ा और करीब आठ हजार वोट अकेले दम पर हासिल किए थे।
गोली मारकर हत्या की कोशिश भी की गई थी
संतोष भारती बताती हैं कि साल 2019 नवंबर माह में प्रधानी चुनाव की रंजिश के चलते उन पर विरोधियों ने हमला करवा दिया था। स्कूटी से जाते वक्त बहेड़ी में उनको गोली मारी गई थी, जिसमें वह घायल हो गई थीं। सुरक्षा के लिए आज भी पुलिस प्रशासन की ओर से उनको गनर उपलब्ध है।
जनता की आवाज बने रहना चाहती हूं
संतोष भारती कहती हैं कि वह अपनों के लिए संघर्ष की पहचान के दम पर चुनाव जीतेंगी। जिनकी न तो विधायक और मंत्री सुनते हैं, न ही सरकारी सिस्टम, वे अपने हक और न्याय के लिए भटकते रहते हैं। वह उनके लिए संघर्ष करती हैं। आगे भी वह ऐसे ही शोषित और पीड़ित लोगों की आवाज बनी रहेंगी। जीतने के बाद निचले तबके के लोगों को न्याय दिलाने और हक के लिए संघर्ष करती रहेंगी। बहेड़ी का विकास सही मायने में कराएं और विकास के लिए जिस स्तर पर लड़ना पड़े, संघर्ष करेंगी।
लोगों की ताकत है पर पैसा नहीं
संतोष भारती कहती हैं कि चुनाव में धन-बल चलता है लेकिन मेरे लिए तो जनता की आवाज ही बल है और मेरा संघर्ष की धन जैसी पूंजी है। जिनके लिए संघर्ष किया है, कर रही हूं और करूंगी, वही मेरी ताकत हैं। पैसा भले ही नहीं है लेकिन चुनाव में सब पर भारी पडूंगी।
टीम प्रियंका ने खोजा संतोष को
इस विधानसभा चुनाव में लोगों के जेहन में एक ही सवाल था कि कांग्रेस मजबूत प्रत्याशी कहां से लाएगी। दरअसल, कांग्रेस के पास मजबूत और जनाधार वाले चेहरे गिने-चुने ही हैं। ऐसे में, पिछले चुनाव में दूसरे दलों से टिकट न पाने वाले नेताओं पर ही कांग्रेस दांव लगाती रही, लेकिन इस बार उसने ऐसा करने के बजाय नई सोच से प्रत्याशियों का चयन किया है। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि प्रियंका गांधी की टीम ने बरेली में रहकर यहां हर सीट पर दूसरे चेहरों पर भी नजर रखी और उनको खोजकर टिकट के लिए चुना। संतोष भारती का चयन भी ऐसे ही किया गया।