Inside Story: क्यों कटा लक्ष्मीकांत वाजपेयी का पत्ता, क्या पार्टी का भरोसा हार गया ये कद्दावर नेता?

Published : Jan 16, 2022, 10:27 AM ISTUpdated : Jan 16, 2022, 10:32 AM IST
Inside Story: क्यों कटा लक्ष्मीकांत वाजपेयी का  पत्ता, क्या पार्टी का भरोसा हार गया ये कद्दावर नेता?

सार

भाजपा के वरिष्ठ नेता लष्मीकांत वाजपेयी भरोसा नहीं जीत पाए। 2017 में विधानसभा चुनावों में उनको सपा से करारी हार मिली थी। बता दें कि लष्मीकांत वाजपेयी शहर विधानसभा सीट से 4 बार विधायक रहे हैं। इस बार उनका टिकट काट कर भाजपा के दंबग नेता कमल दत्त शर्मा को टिकट दिया गया है। बताया जाता है कि कमल दत्त शर्मा को राजनीति के गुण देने वाले लक्ष्मीकांत वाजपेयी ही थे। 

अनमोल शर्मा
मेरठ:
यूपी के विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav) नजदीक है जिसके लिए भाजपा ने अपनी पहली सूची उम्मीदवारों (BJP Candidate List) की जारी कर दी है। मेरठ से 7 विधानसभा सीट पर सबकी नजरें टिकी हुई थी। भाजपा ने 7 में से 4 विधायकों पर एक बार फिर से विश्वास जताया है जबकि 3 विधायकों का टिकट काट दिया गया। टिकट कटने की सूची में भाजपा के वरिष्ठ ब्राह्मण नेता और यूपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी (LaxmiKant Vajpayee) का टिकट काट दिया है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी भरोसा नहीं जीत पाए। 2017 में विधानसभा चुनावों में उनको सपा से करारी हार मिली थी। बता दें कि लक्ष्मीकांत वाजपेयी शहर विधानसभा सीट से 4 बार विधायक रहे हैं। इस बार उनका टिकट काट कर भाजपा के दंबग नेता कमल दत्त शर्मा को टिकट दिया गया है। बताया जाता है कि कमल दत्त शर्मा (Kamal Datt Sharma) को राजनीति के गुण देने वाले लक्ष्मीकांत वाजपेयी ही थे। 

स्कूटर से चलते थे
लक्ष्मीकांत वाजपेयी जनता के बीच अच्छी छवि और अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। शहर विधानसभा की उनको अच्छे से जानकारी है, विधायक रहते हुए भी जब क्षेत्र का भ्रमण करते थे तो स्कूटर खुद चलाकर जनता की बीच जाते थे। ये ही गुण कमल दत्त शर्मा में भी आ गया और कमल दत्त शर्मा भी खुद जनता की परेशानियों से रूबरू होने के लिए शहर की संकरी गलियों में भी अपने दो पहिया वाहन से जाते हैं।

दो साल रहे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को पहचान दिलाने के लिए लक्ष्मीकांत वाजपेयी की अहम भूमिका रही है। 2012 में जब लक्ष्मीकांत वाजपेयी शहर विधानसभा सीट से विधायक बने तब उनको भाजपा ने उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष भी बनाया और 2014 तक अध्यक्ष के रूप में सेवा देते रहे। 

4 पुराने विधायकों पर भरोसा जताया,3 के काटे
लक्ष्मीकांत वाजपेयी का शहर से टिकट काटा तो वही, 4 बार लगातार विधायक रहे सत्यप्रकाश अग्रवाल का भी टिकट काट कर दो बार विधायक रहे अमित अग्रवाल को टिकट दिया। दूसरी तरफ सिवालखास विधानसभा से जितेंद्र पाल सिंह का भी टिकट काट कर कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन मनिंदर पाल सिंह पर पार्टी ने भरोसा जताया है। मेरठ दक्षिण से युवा विधायक सोमेन्द्र तोमर पर भी पार्टी ने पुनः टिकट देकर भरोसा जताया है।
वही, अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहने वाले संगीत सोम को पार्टी ने टिकट देकर जीत की हैटट्रिक लगाने का मौका दिया है।

तमाम विरोध के बाद भी मिला टिकट
किसानों आंदोलन के बीच मेरठ किठौर विधानसभा के विधायक सतवीर त्यागी का क्षेत्र में पिछले दिनों काफी विरोध रहा। विधायक को क्षेत्रवासियों ने काले झंडे तक दिखाए,बावजूद इसके सतवीर त्यागी पार्टी का भरोसा जीतने में कामयाब रहे। वही, ऐतिहासिक सीट हस्तिनापुर से विधायक से मंत्री बने दिनेश खटीक का भी पार्टी ने विरोध के बाद टिकट रिपीट कर दिया।

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