सिपाही का बेटा बना डिप्टी एसपी, पढ़ाई के चलते आज तक नहीं बना सके खुद का घर

कहते हैं सफलता किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती। ये बात साबित कर दिखाया है यूपी के बलिया के रहने वाले अमित सिंह ने। अमित UPPCS 2017 का एग्जाम पास कर डिप्टी एसपी बन गए हैं। इनके पिता पुलिस विभाग में सिपाही हैं। वर्तमान में प्रतापगढ़ जिले के एसपी आफिस में तैनात हैं। hindi.asianetnews.com ने अमित के पिता अनिल सिंह से बात की।

Ujjwal Singh | Published : Oct 11, 2019 6:00 PM IST / Updated: Oct 12 2019, 11:26 AM IST

लखनऊ (Uttar Pradesh). कहते हैं सफलता किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती। ये बात साबित कर दिखाया है यूपी के बलिया के रहने वाले अमित सिंह ने। अमित UPPCS 2017 का एग्जाम पास कर डिप्टी एसपी बन गए हैं। इनके पिता पुलिस विभाग में सिपाही हैं। वर्तमान में प्रतापगढ़ जिले के एसपी आफिस में तैनात हैं। hindi.asianetnews.com ने अमित के पिता अनिल सिंह से बात की। इस दौरान उन्होंने बेटे को पढ़ाने में अपने संघर्षों की कहानी बयां की। 

बच्चों को पढ़ाने के चलते नहीं बना पाए अपना घर
मूल रूप से बलिया जिले के चांदपुर गांव के रहने वाले अनिल सिंह यूपी पुलिस में सिपाही हैं। इनके चार बच्चे, दो बेटी और दो बेटे हैं। बड़ी बेटी बलिया के ही एक स्कूल में टीचर हैं। दूसरे नंबर पर बेटा अमित है। इन्होंने UPPCS 2017 के फाइनल रिजल्ट में 19वीं रैंक हासिल की है। अनिल बताते हैं, शुरू से ही चारों बच्चे पढ़ने में अच्छे थे। इलाहाबाद में पोस्टिंग के समय से ही मैं परिवार के साथ नेहरू पार्क के पीछे मधुवन विहार कालोनी में किराए के मकान में रहता हूं। बच्चों की पढ़ाई भी इलाहाबाद से ही हुई। उनकी पढ़ाई में इतना खर्च हो जाता था कि कभी मैं खुद का घर बनाने के बारे में सोच ही नहीं पाया। सपना जरूर था कि अपना घर हो लेकिन सिपाही की नौकरी में इतनी तनख्वाह नहीं थी। 

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पिता ने सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कर दिया था मना
वो बताते हैं, अमित बचपन से ही अफसर बनना चाहता था। लेकिन वो ये भी जानता था कि उसके छोटे भाई बहन भी अब बड़े हो गए हैं। उनकी पढ़ाई का खर्च भी अब बढ़ रहा है। इसी चलते उसने बीटेक के बाद प्राइवेट जॉब शुरू कर दी। गुड़गांव के हीरो मोटरकॉर्प में काम करने लगा, जहां उसे 35 हजार रुपए सैलिरी मिलती थी। नौकरी के दौरान ही उसे पीलिया हो गया। तबीयत बिगड़ने पर इलाज के लिए छुट्टी लेकर घर चला आया। घर आने के बाद उसने वापस नौकरी पर जाने के बजाय दो साल सिविल सर्विस की तैयारी करने की बात कही। आर्थिक स्थिति को देखते हुए मैंने उसे मना कर दिया और वापस नौकरी ज्वाइन करने के लिए कहा। बाद में उसकी इच्छा को देखते हुए मैंने हामी भर दी और आज परिणाम सामने है। 

जब एसपी को मिली सिपाही के बेटे की खबर 
अनिल कहते हैं, मैंने जो भी संघर्ष किया उसे बेटे ने अपने लगन और मेहनत से साकार कर सार्थक कर दिया। आज मुझे वो खुशी हो रही है जितना मैं जीवन में कभी नहीं था। मेरी सालों की मेहनत और तपस्या को बेटे ने सफल कर दिया। प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मैं तैनात हूं। बेटे के सिलेक्शन की खबर आते ही एसपी साहब अभिषेक सिंह ने मुझे अपने कार्यालय में बुलाकर मिठाई खिलाई। इसके साथ ही दफ्तर में तैनात सभी पुलिस कर्मियों को मिठाई बांटी गयी।

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