
लखनऊ (Uttar Pradesh) । रिटायरमेंट से ठीक तीन दिन पहले आईपीएस अरविंद सेन को जेल भेज दिया गया। दरअसल, पशुधन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का उनपर आरोप है। वे इस मामले का खुलासा होने के बाद से फरार हो गए थे, जिसके बाद उनपर 50 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया गया था, मगर आज उन्होंने लखनऊ के भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में सरेंडर कर दिया जहां से उन्हें 9 फरवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बता दें कि वह 31 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं। हालांकि वो इस समय निलंबित चल रहे हैं।
कुर्की की चल रही थी कार्रवाई
बताते चले कि पुलिस ने फरार चल रहे निलंबित आईपीएस अरविंद सेन के लखनऊ और पैतृक आवास अयोध्या में डुगडुगी पिटवाकर फरार घोषित कर चुकी है। साथ ही उनके प्रापर्टी को कुर्क करने की कार्रवाई शुरू की थी। माना जा रहा था कि जल्द ही कुर्की की जाती। वहीं, गिरफ्तारी के डर से निलंबित आईपीएस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। जिसे सोमवार को खारिज कर दिया गया है। ऐसे में हर ओर से फंसता देख अरविंद सेन ने सरेंडर कर दिया।
जानिए क्या है पूरा मामला
13 जून साल 2020 को इस मामले की FIR इंदौर के एक व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिन्कू ने थाना हजरतंगज में दर्ज कराई थी। इस मामले में मोंटी गुर्जर, आशीष राय व उमेश मिश्रा समेत 13 अभियुक्तों को नामजद किया गया था। विवेचना में आईपीएस अधिकारी अरविंद सेन का नाम भी प्रकाश में आया। अभियुक्तों पर झूठे दस्तावेजों व फर्जी नाम से गेहूं, आटा, शक्कर व दाल आदि की सप्लाई का ठेका दिलवाने के नाम पर 9 करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपए की ठगी का आरोप है।
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