योगी सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद और अफसरों के बीच की नाराजगी साफतौर पर सामने आई है। वह अफसरों की लापरवाही और काम में बरती जाने वाली शिथिलता से दुखी है। इससे पहले भी मंत्रियों और अफसरों के बीच की रस्साकसी देखी जा चुकी है।
लखनऊ: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ में 15 नवंबर तक पूरे प्रदेश की सड़कों को गढ्ढामुक्त बनाने का आदेश दिया था। लेकिन सीएम योगी का यही आदेश अब सरकार के मंत्रियों और अफसरों की बीच आपसी तालमेल की कमी को दिखा रहा है। यूपी की ब्यूरोक्रेसी से पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद नाखुश दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि बीते 1 नवंबर को मंत्री जितिन प्रसाद ने पीडब्ल्यूडी मुख्यालय का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने ऑफिस से गायब दो इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया। वहीं कुछ इंजीनियरों से जवाब तलब किया। सिर्फ इतना ही नहीं पीडब्ल्यूडी मंत्री ने प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखकर इन पर लापरवाही का भी आरोप लगाया है और इस मामले पर शाम तक स्पष्टीकरण भी मांगा।
मंत्रियों की नाराजगी पहले भी आ चुकी है सामने
ब्यूरोक्रेसी से योगी के मंत्रियों की यह नाराजगी कोई नई बात नहीं है। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और दिनेश खटीक भी खुलेआम अपने नाराजगी और नाखुशी जाहिर कर चुके हैं। बता दें कि सीएम योगी के पहले कार्यकाल में ऊर्जा विभाग के तत्कालीन मंत्री श्रीकांत शर्मा ने तत्कालीन अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार पर काम में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। वहीं दूसरे कार्यकाल में डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को चिट्ठी लिखकर ट्रांसफर पर भी सवाल उठाए थे। फिलहाल अपर मुख्य सचिव ने इस मामले पर जवाब देते हुए कहा कि तबादले पर डिप्टी सीएम के भी दस्तखत हैं। इसके बाद डिप्टी सीएम एक मृत डॉक्टर के परिजनों से मिलने प्रयागराज पहुंच गए। बता दें कि डॉक्टर की मौत के बाद तबादले का आदेश जारी हुआ था।
राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने नाराज होकर दी थी इस्तीफे की धमकी
वहीं जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक की नाराजगी का मामला खासा चर्चा में रहा। इस दौरान राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने मुकदमे से लेकर इस्तीफे तक की धमकी दी थी। जिससे सरकार के लिए अजहस स्थिति पैदा हो गई थी। इस घटना के तीन दिन बाद जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य मेरठ पहुंचे तो वह दिनेश खटीक से मिलने उनके घर भी गए थे। बता दें कि जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के वायरल पत्र में विभागीय प्रमुख सचिवों पर उपेक्षा व मनमानी करने के आरोप लगाए गए थे। इसके अलावा जितिन प्रसाद के विभाग की छवि पर भी तबादलों में हुई धांधली के काऱण सवाल उठने लगे थे। जिसके बाद सीएम योगी ने पीडब्ल्यूडी में हुए तबादलों में अनियमितता को लेकर जांच बैठाई थी। मामले की रिपोर्ट आने के बाद पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय पर कार्रवाई की गई थी।
इंजीनियर, अफसर, बाबू ऑफिस से मिले गायब
बताया जा रहा है कि इतना सब होने के बाद भी जितिन प्रसाद और उनके विभाग के अधिकारियों के बीच सामंजस्य बनता दिखाई नहीं दे रही है। बीते सोमवार को जितिन प्रसाद कानपुर में समीक्षा बैठक ले रहे थे। तभी विधायक सुरेंद्र मैथानी और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के बीच काम को लेकर बहस छिड़ गई। इसके बाद जितिन प्रसाद खुद हकीकत देखने के लिए सड़कों पर निकल पड़े। जब जितिन प्रसाद भाटिया तिहारे से पनकी मंदिर तक बनी नई रोड को उंगली से खुरच कर देखा तो उसमें से मिट्टी निकल आई। इस सड़क को बनाने के लिए 34 करोड़ रुपए की लागत आई है। वहीं बीते मंगलवार को मंत्री पीडब्ल्यूडी के लखनऊ स्थित हेडक्वॉर्टर औचक निरीक्षण करने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान इंजीनियर, अफसर, बाबू साढ़े ग्यारह बजे तक नहीं आए थे। जिसके बाद जितिन प्रसाद ने दो इंजीनियरों पर एक्शन लेते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया था।
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