यूपी के कानपुर जिले में छह महीने बाद छूटे सुरेश मांझी ने आरोपियों की आवाज सुनते ही पहचान लिया। दरअसल मंगलवार की शाम को पुलिस ने आरोपियों को सुरेश के समक्ष पेश किया। उसकी आंखों की रोशनी जाने की वजह से पुलिस ने आवाज सुनकर आरोपियों की पहचान कराई।
कानपुर: उत्तर प्रदेश के जिले कानपुर में भिखारी गैंग की यातनाओं के शिकार हुए सुरेश मांझी का अब आरोपियों से पुलिस ने आमना-सामना करा दिया है। सुरेश के सामने जैसे ही आशा और राज ने अपनी जुबान खोली तो आवाज सुनते ही वह चौंक गया और दहशत में आ गया। सुरेश ने आरोपियों को पहचानने में बिल्कुल देरी नहीं लगाई और दोनों को पहचान लिया। उसने पुलिस को बताया कि यही लोग हैं, जिन्होंने उसकी जिंदगी नर्क बना दी। दोनों आरोपी के अलावा पुलिस फरार आरोपी विजय की मां को भी उसके सामने ले गए तब भी सुरेश आवाज पहचान गया। दरअसल पुलिस साक्ष्य के तौर पर यही देखना चाहती थी।
सुरेश मांझी का हैलेट में चल रहा है उपचार
ज्ञात हो कि सुरेश इस समय शहर के हैलट में भर्ती है। एक आंख की रोशनी पूरी तरह नहीं आई है और दूसरी आंख का इलाज जारी है। आंखों की रोशनी वापस आने की उम्मीद लगाई जा रही है। इस समय तो सुरेश को कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है। जब पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा तो उनकी शिनाख्त करना जरूरी थी। हालांकि सुरेश को दिखाई नहीं देता तो आवाज से पहचान कराई गई है। इस मामले को लेकर डीसीपी साउथ का कहना है कि सुरेश ने राज नागर, उसकी मां व विजय की मां की आवज आसानी से पहचान ली। सुरेश को जब इस बात का पता चला कि आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं तो उसको बहुत सुकून मिला।
आरोपियों की आवाज सुनकर तुरंत पहचान गया सुरेश
सुरेश ने पुलिस से आवाज सुनने के बाद कहा कि साहब यही सब लोग हैं, जिन्होंने मेरा ये हाल किया। इन्होंने इतना तड़पाया, प्रताड़ित कि जिंदा रहने की उम्मीद नहीं थी। सुरेश आगे कहता है कि पता नहीं कैसे मेरी सांसे चलती रही। आरोपी उसकी यह बात सुनकर बिल्कुल खामोश रहे क्योंकि उनके द्वारा की गई करतूत उजागर हो रही थी। उसके बाद आरोपियों ने बताया कि विजय ने अपने घर पर काफी दिनों तक सुरेश को रखा था। यहां उसकी बहन तारा जड़ीबूटी लाथी थी और उसमें से कोई तरल पदार्थ सुरेश की आंखों में डालती थी। इसी वजह से उसकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे चली गई। पुलिस अब तारा की भूमिका की भी जांच कर रही है।
किदवई नगर पुलिस ने आरोपियों को किया गिरफ्तार
आरोपी राज ने पुलिस को बताया कि सुरेश को दिल्ली के नागलोई में रखा था। फुटपाथ पर सुलाते थे और सुबह होते ही भीख मंगवाने के लिए सड़क पर तो कभी चौराहे पर छोड़ देता था। उसके बाद शाम को वापस ले आता था और जो भी पैसे मिलते थे वह उसे खुद रख लेता था। उसकी तबीयत खराब हुई तो इलाज शुरू कराया पर पैसे ज्यादा लगने की वजह से 30 अक्टूबर को शहर में लाकर छोड़ दिया था। मंगलवार की शाम किदवई नगर से आरोपियों को नौकरी का झांसा देकर युवक को बंधक बनाकर अंधा व अपहाजि कर भीख मंगवाते। फिलहाल पुलिस दोनों से पूछताछ कर रही है और विजय की तलाश जारी है। पुलिस की तीन टीमें लगाई गई है ताकि जल्द से जल्द उसको पकड़ा जा सके।
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