कानपुर पुलिस की हिरासत में युवक की मौत, पोस्टमार्टम हाउस पहुंचकर डॉक्टर के बयान को सुन SIT टीम रह गई दंग

यूपी के कानपुर पुलिस में युवक को हिरासत में मौत होने पर पोस्टमार्टम हाउस एसआईटी टीम पहुंची। वहां उन्होंने युवक का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के बयान दर्ज किए। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट अंग्रेजी में होने की वजह से समझ नहीं आ रही है इसलिए हिंदी में बताए।

कानपुर: उत्तर प्रदेश के जिले कानपुर देहात में बलवंत हत्याकांड की जांच में जुटी एसआईटी की दो सदस्यीय टीम शनिवार को पोस्टमार्टम हाउस पहुंची। वहां उन्होंने डॉक्टर के बयान दर्ज किए। जिसको सुनते ही एसआईटी की टीम भी हैरान रह गई। डॉक्टर ने बताया कि बलवंत को इतनी बुरी तरह पीटा कि उसके शरीर में जगह-जगह खून के थक्के जम गए थे। जिसकी वजह से खून की दौड़ान बंद हो गई और युवक की मौत हो गई। इसको मेडिकल भाषा में फलंजा इनसिजर कहते हैं। 

समय से खून चढ़ जाता तो युवक की बच जाती जान
डॉक्टर ने टीम से कहा कि अगर समय से युवक को खून चढ़ा दिया जाता तो जान बच सकती थी। वहीं बलवंत हत्याकांड का खुलासा और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एसपी कन्नौज कुंवर अनुपम सिंह की अगुवाई में एसआईटी गठित की गई है। शनिवार को एसआईटी टीम के धीरज कुमार दो सदस्यीय टीम के साथ पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। वहां वो पोस्टमार्टम प्रभारी से मिलकर बलवंत का पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले डॉक्टर के बयान दर्ज कराने को कहा तो उन्होंने घाटमपुर प्रभारी डॉ. देवेंद्र राजपूत से मोबाइल पर बात कराई। जिसके बाद बयान दर्ज हुआ। 

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अंग्रेजी में रिपोर्ट होने की वजह से नहीं आ रही थी समझ
एसआईटी प्रभारी ने पोस्टमार्टम में दर्शाए गए बिंदुवार 30 चोटों के बारे में सूचना ली। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट अंग्रेजी में होने के चलते दिक्कतें आ रही हैं। लिहाजा उन्हें हिंदी में अनुवाद कर जानकारी दी जाए। जिसके बाद डॉ. देवेंद्र ने उन्हें हर चोट के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि बलवंत के शरीर में पेट के पार्ट को छोड़ दिया जाए तो सभी जगह चोटों के निशान हैं। डॉक्टर ने बताया कि बलवंत के शरीर पर 22 चोटें पाई गईं हैं। पूरे शरीर में काले-नीले निशान पड़े हुए थे। 

पुलिस अभिरक्षा में मौत होने पर मानवाधिकार आयोग द्वारा कराया जाता है पंचनामा
बता दें कि जब भी कोई पुलिस अभिरक्षा में मौत होती है, तो मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी आदेश के तहत मृतक का मजिस्ट्रेटी पंचनामा करने के बाद पोस्टमार्टम किया जाता है। इसी क्रम में बलवंत के भी शव का पंचनामा एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट रणविजय सिंह की मौजूदगी में भरा गया था। मजिस्ट्रेट ने भी बिना चोट देखे बलवंत के पंचनामे में सिर्फ पांच चोट दर्शाते हुए हस्ताक्षर कर दिए थे। हालांकि युवक के शरीर में 22 चोटें मिलने के साथ ही शरीर में काले-नीले निशान पड़े हुए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस की बर्बरता सामने आई है, जिससे बलवंत की मौत हो गई।

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