कारगिल में पाकिस्तान के लिए काल बन गई थी शहीद राम दुलार की AK-47, 25 साल की उम्र में दिखाया था अद्यम साहस

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को विजय पाई थी। दोनों सेनाओं के बीच करीब 3 महीने तक युद्ध चला था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस युद्ध में भारतीय सेना के करीब 527 जवान शहीद हो गए थे। 

Pawan Tiwari | Published : Jul 26, 2022 2:37 AM IST

गाजीपुर. 26 जुलाई का दिन हर भारतीय के लिए शौर्य, वीरता और गर्व का दिन है। आज से ठीक 23 साल पहले भारतीय सेना के बहादुर सिपाहियों ने पाकिस्तान पर विजय पाई थी। 1999 में पाकिस्तान औ भारतीय सेनाएं कारगिल (Kargil Vijay Diwas) में आमने-सामने थी जिसके बाद भारतीय सेना ने जीत के साथ इस युद्ध का अंत किया था। कारगिल युद्ध जीतने के लिए सेना के कई जवानों ने अपने प्राणों की बलि दी थी। उनमें से एक जवान थे उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के रहने शहीद राम दुलारे (kargil martyr ramdular)। अपने अद्मय साहस का परिचय देते हुए वो विरोधी सेना के ऊपर काल बनकर टूट पड़े थे। आइए जानते हैं राम दुलार की कहानी।

द्रास चोटी पर कब्जे की मिली थी जिम्मेदारी
कारगिल युद्ध शुरू होने से पहले राम दुलार यादव के यूनिट की पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर के पूंछ में ही थी। युद्ध शुरू होते ही उन्हें कारगिल भेज दिया गया था। उनकी यूनिट को द्रास सेक्टर पर तिरंगा फहराने की जिम्मेदारी दी गई थी। बता दें कि ट्रेनिंग के बाद रामदुलार यादव को 13 कुमाऊं रेजिमेंट में तैनाती मिली थी।

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21 अगस्त को रात हुए थे शहीद
21 अगस्त 1999 को पाकिस्तानी सैनिक हमले की तैयारी कर चुके थे। दोनों तरफ से फायरिंग हो रही थी। गोलियों के बीच राम दुलार अपने साथी जवानों के साथ दुश्मन सेना की तरफ बढ़ रहे थे। उनकी AK-47 दुश्मनों को परेशान कर रही थी। राम दुलारे ‘बजरंग बली की जय और दादा किशन की जय’ का नारा लगा रहे थे। यह उनकी यूनिट का नारा था। इस हमले में करीब 25 पाकिस्तानी सैनिक मारे जा चुके थे। तभी एक बम का गोला राम दुलार के पास आकर गिरा इस हमले में राम दुलार अपने 5 सैनिकों के साथ शहीद हो गए। 

22 अगस्त को परिजनों को मिली जानकारी
राम दुलार यादव के शहीद होने की जानकारी परिजनों को एक दिन बाद 22 अगस्त को मिली थी। उनके पिता के अनुसार, उनके गांव के लड़के ने आकर कहा कि फोन आया है। जब हम टेलीफोन के पास पहुंचे तो हमें बताया गया कि राम दुलार देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। शहीद होने के 4 महीने पहले वो अपने गांव आए थे। छुट्टी खत्म करने के बाद जब वह वापस जा रहे थे तो उन्होंने अपने पिता से वादा किया था कि इस बार नया टैक्टर खरीदेंगे जिससे आपको खेतों में हल नहीं चलाना पड़े। 

1974 में हुआ था जन्म
राम दुलार यादव का जन्म 1 जुलाई 1974 को गाजीपुर जिले के पड़ैनिया गांव में हुआ था। वो 26 अक्टूबर 1992 को सेना में भर्ती हुए थे। उनका एक बेटा औऱ एक बेटी है। बेटी की शादी हो चुकी है और बेटा सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है। राम दुलार को उनके साहस के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।

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