काशी हिंदू विश्वविद्यालय में जटिल प्रशासनिक व प्रक्रियागत ढांचे को सरल, प्रभावी व व्यवहारिक बनाने की कवायत शुरू कर दी गई है। इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया गया है।
अनुज तिवारी
वाराणसी: शैक्षणिक व अनुसंधान उत्कृष्टता हासिल करने के पथ पर अग्रसर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने प्रशासनिक कुशलता के लिए वृहद कवायद शुरु कर दी है। जटिल प्रशासनिक व प्रक्रियागत ढांचे को सरल, प्रभावी व व्यवहारिक बनाने के तरीके सुझाने के लिए कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने भारत सरकार के अत्यंत वरिष्ठ व अनुभवी पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों की तीन सदस्यीय समिति गठित की है। भारत सरकार में पूर्व सचिव पवन अग्रवाल की अध्यक्षता वाली इस समिति में पूर्व उप नियंत्रक व महालेखापरीक्षक, भारत सरकार, पराग प्रकाश तथा शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, में पूर्व संयुक्त सचिव, आर. डी. सहाय सदस्य हैं। डॉ. सुनीता चन्द्रा, संयुक्त कुलसचिव, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, समिति की सचिव हैं।
बीएचयू के प्रशासनिक ढांचे व कार्यप्रणाली की समीक्षा कर रही है समिति
प्रशासनिक सुधार समिति ने संस्थानों के निदेशकों, संकाय प्रमुखों, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, प्रशासनिक व वित्तीय प्रमुखों, संकाय सदस्यों, पीएचडी शोधार्थियों व छात्रों तथा बीएचयू के विद्यालयों के प्रतिनिधियों समेत विभिन्न पक्षधारकों से बातचीत कर सुगम व सुचारू प्रशासनिक एवं वित्तीय कामकाज में आने वाली समस्याओं के बारे में जाना तथा संभावित समाधानों पर सुझाव लिये।
समिति की ओर से दिए जाएंगे सुझाव
समिति विश्वविद्यालय की मौजूदा प्रशासनिक व ढांचागत व्यवस्था की समीक्षा करेगी तथा प्रशासन की कार्यक्षमता बढ़ाने व उसे अधिक प्रतिक्रियाशील बनाने के उपाय सुझाएगी। समिति प्रशासनिक व वित्तीय मामलों में विभिन्न विभागों के भूमिका पर गौर करने के साथ साथ उन्हें पुनर्परिभाषित करेगी। साथ ही साथ विभिन्न विभागों के मध्य समन्वय के साथ कामकाज, विलंब कम करने, कामकाज को निर्धारित समय पर पूर्ण करने, कार्यक्षमता, जवाबदेही, पारदर्शिता तथा वित्तीय अनुशासन लाने के लिए सिफारिशें करेगी। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने विश्वविद्यालय में सुदृढ़ व व्यवहारिक प्रशासनिक ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि शिक्षकों व विद्यार्थियों का बहुमूल्य समय व प्रयास बरबाद न हों व उनका शैक्षणिक व अनुसंधान उत्कृष्टता हासिल करने में सदुपयोग किया जा सके। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रशासनिक सुधार की कवायद इसी दिशा में महत्वपूर्ण क़दम है।