KGMU ने Covishield vaccine पर किया सर्वे, टीकाकरण के 8 माह बाद 84% कम हुई एंटीबॉडी

केजीएमयू ने पिछले आठ महीनों में पांच सौ  वैक्सीनेटड लोगों के सैंपल पर रिसर्च किया जिसमें पाया कि टीकाकरण के आठ महीने बाद एंटीबॉडी कम हो गईं। साथ ही कोरोना से लड़ने के लिए विशेषज्ञों ने बूस्टर डोज की सिफारिश की है

लखनऊ: कोरोना (Corona) का कहर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दूसरी लहर का प्रकोप नए नए वेरिएंट के साथ लगातार जारी है। वहीं तीसरी लहर की भी आशंका बनी हुई है। आपको बता दें कि केजीएमयू (KGMU) ने पिछले आठ महीनों में पांच सौ  वैक्सीनेटड (vaccinated) लोगों के ब्लड सैंपल (blood sample) पर रिसर्च किया जिसमें पाया कि टीकाकरण (vaccination) के आठ महीने बाद एंटीबॉडी (Antibodies) कम हो गईं। साथ ही कोरोना से लड़ने के लिए विशेषज्ञों ने बूस्टर डोज (booster dose) की सिफारिश की है।

घटकर 50 हजार से नीचे चला गया एटीबॉडी का स्तर
सर्वे (Survey) में पता चला कि टीकाकरण के बाद व्यक्ति में 40 हजार तक एंटीबॉडी बनी थी। समय के साथ इनमें गिरावट आने लगी। 50 या इससे कम स्तर होने पर उसे निगेटिव (Negative) माना जाता है। काफी मामलों में देखा गया कि एंटीबॉडी का स्तर 50 भी नहीं पहुंच रहा है। अगर सामान्य रूप से कुल गिरावट की बात करें तो पांच महीने के अंतराल के बाद एंटीबॉडी में 42 फीसदी, सात महीने के अंतराल पर 68 फीसदी और आठ महीने के अंतराल पर करीब 84 फीसदी की कमी आ गई। पहले समूह में पांच महीने पहले टीके की दोनों खुराक ले चुके दो सौ लोगों को शामिल किया गया। इसमें देखा गया कि सभी में एंटीबॉडी तो है, लेकिन उसका स्तर 42 फीसदी तक कम हो चुका है। दूसरे समूह में शामिल उन दो सौ लोगों को रखा गया जिन्होंने दोनों डोज सात महीने पहली ली थी। इसमें पता चला कि 12.5 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी का स्तर शून्य के स्तर पर पहुंच चुका था। बचे एक सौ लोगों के समूह में आठ माह पहले टीकाकरण पूरा कर चुके लोगों को शामिल किया गया था।

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कोवीशील्ड वैक्सीन पर हुआ सर्वे
लखनऊ में इस समय कोवीशील्ड, कोवॉक्सीन और स्पूतनिक (koveShield, kovoxin and Sputnik) तीन वैक्सीन लगाई जा रही है। सर्वे में कोवीशील्ड टीका लगाने वालों को ही शामिल किया गया था। इसमें ज्यादातर केजीएमयू के स्वास्थ्यकर्मी ही थे। यह सर्वे आगे भी जारी रहेगा। इसमें बूस्टर डोज लगने के बाद भी एंटीबॉडी का स्तर जांचा जाएगा। एंटीबॉडी का स्तर कम होना बताता है कि समय बीतने के साथ टीके का असर कम हो रहा है। इसलिए बूस्टर डोज की जरूरत है। बूस्टर डोज लेकर घटी हुई एंटीबॉडी को फिर से बढ़ाया जा सकता है।

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