
अनुराग पाण्डेय
कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में हुए दर्दनाक हादसे में अपनी जान पर खेलकर पांच लोगों की जिंदगियां बचाने वाली बहादुर बिटिया पूजा यादव खुद को नहीं बचा सकी। कुशीनगर हादसे में मरने वाले 13 लोगों में 21 साल की पूजा यादव भी शामिल है। बहादुर बिटिया अब नहीं रही लेकिन रात के दर्दनाक हादसे के दौरान दिखाई गई उसकी हिम्मत की बातें हर ओर हो रही हैं। वह सेना भर्ती की तैयारी कर रही थी। सेलेक्शन से पहले वह जिंदगी की जंग हार गई। उसने जो बहादुरी दिखाई, उससे पांच लोगों की जान बची, जिसमें दो बच्चे भी हैं। पूजा यादव के पिता बलवंत यादव आर्मी में हैं। उन्हें हमेशा अपनी बेटी की शादी की चिंता लगी रहती थी। इधर न तो पूजा का सेना में सेलेक्शन हुआ और न ही शादी हो सकी। अब उसके शव की लाल चुनरी के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी पिता कर रहे हैं। बहादुर बिटिया के लिए पूरा गांव मातम मना रहा है।
बहादुर बिटिया पूजा की बात हर कोई कर रहा है। अंधेरा हो गया था, जिस वक्त हादसा हुआ। पूजा के साथ डूबने वालों में उसकी मां भी थी। उसने अपनी मां को बचाया। इसके बाद एक-एक कर 5 लोगों को बचाया। छठे की जान बचाते वक्त वह खुद डूब गई।
पूजा से हर कोई मदद की लगा रहा था गुहार
हादसे के वक्त मौजूद लोगों ने बताया कि पूजा को धुन सवार थी कि वह सभी को बचाएगी। उसका हौंसला देखकर रोते-बिलखते लोग पूजा का ही नाम ले रहे थे। हर कोई पूजा से ही मदद की गुहार लगा रहा था। जब उसने 5 लोगों को बचाया तो लोगों की आस जाग उठी। पूजा छठी जान बचा रही थी तभी उसने संतुलन खो दिया और पानी में समा गई।
खुद की जान खतरे में डाल बचाती रही जिंदगी
जर्जर कुएं का सैलब, 13 लोगों के लिए मौत का यमराज बना। अंधेरी रात और गहरे कुएं में गिरे लोगों की आवाज भी गांव के दूसरे लोगों तक नहीं पहुंच रही थी। ऐसे में पूजा के साथ दूसरी महिलाएं लगातार चिल्लाने लगीं। रात के सन्नाटे में लगातार चिल्लाने से आवाज दूसरे लोगों तक नहीं पहुंच पा रही थी, जिसके बाद वहां भीड़ हो गई। पूजा की आवाज सुन करके वहां विपिन ने दौड़ लगाई। उसकी सहायता से पांच लोगों को बचाया। हर बार पूजा खुद को बाहर निकालने की जगह, लोगों से कहती थी। इसे पकड़ो, इसका हाथ पकड़ो, बच्चों को ऊपर निकालो।
बीए सेकेंड इयर की छात्रा थी पूजा
तहसीलदार शाही महाविद्यालय सिन्हा में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी पूजा। इसके साथ ही उसके दो जुड़वां भाई आदित्य और उत्कर्ष थे। पिता बलवंत यादव दिल्ली में पोस्टेड थे, जबकि, जुड़वा भाई क्लास नौ में पढ़ाई करते थे।
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