ड्यूटी के बाद कुछ ऐसा काम करती है ये लेडी कांस्टेबल, हर जगह हो रही तारीफ

Published : Sep 05, 2019, 12:35 PM ISTUpdated : Sep 05, 2019, 12:46 PM IST
ड्यूटी के बाद कुछ ऐसा काम करती है ये लेडी कांस्टेबल, हर जगह हो रही तारीफ

सार

5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक​ दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बुलंदशहर. 5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक​ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर आज हम आपको एक ऐसी टीचर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि पेशे से पुलिस कांस्टेबल हैं। माना जाता है कि पुलिस की नौकरी में ड्यूटी समय की कोई सीमा नहीं होती। ऐसे में इस महिला कांस्टेबल द्वारा नौकरी के साथ साथ गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम वाकई सराहनीय है।  

मथुरा की रहने वालीं गुड्डन चौधरी वर्तमान में बुलंदशहर जिले के खुर्जा देहात कोतवाली क्षेत्र में तैनात हैं। ये रोजाना ड्यूटी के बाद सड़क किनारे बसी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीब बच्चों को सड़क किनारे ही क्लास लगाकर पढाती हैं। पिछले कई साल से ये ऐसे ही गरीब बच्चों को शिक्षा देती आ रही हैं। यही नहीं, ये अपने वेतन का 20 प्रतिशत हिस्सा बच्चों की कॉपी-किताब आदि दिलाने में खर्च करती हैं।

गुड्डन ने बताया, मैं इन बच्चों का इलाके के सरकारी स्कूल में एडमिशन कराना चाहती हूं, ताकि ये बड़े होकर कुछ अच्छा कर सकें। इलाके के सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल ने बच्चों के एडमिशन के लिए आधार कार्ड की मांग की है। मैं अब इन बच्चों का आधार कार्ड बनवाउंगी, ताकि इनका स्कूल में एडमिशन हो सके। 

एक बच्चे के अभिभावक मोहर सिंह कहते हैं, पहले हमें पुलिसवालों से बहुत डर लगता था। लेकिन गुड्डन चौधरी ने हमारे अंदर से वो डर खत्म किया। वो हमारे बच्चों को रोज पढ़ाती हैं, जिसका वो कोई पैसा नहीं लेती। अब बच्चों का भी पढ़ने में मन लगने लगा हैं। नहीं तो पहले वो सिर्फ कूड़ा बीनने का काम करते थे।  

सीओ राघवेंद्र मिश्रा ने बताया, गुड्डन चौधरी का काम सराहनीय है। जिले के पूरे पुलिस महकमे में उसकी तारीफ हो रही है। गुड्डन से अन्य पुलिसकर्मियों को सीख लेनी चाहिए और अपने ड्यूटी टाइम से समय निकालकर गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम करना चाहिए। 

क्यों 5 सितंबर को मनाते हैं शिक्षक दिवस
भारत के पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति रहे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। जब वे राष्ट्रपति बने तो छात्रों ने इनका जन्मदिन मनाना चाहा। इस पर इन्होंने कहा कि मेरा जन्मदिन मनाने की बजाय 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाए तो शिक्षकों के लिए गर्व की बात होगी। तभी से शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा। इन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

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