ज्ञानवापी की तरह मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि का भी होगी वीडियोग्राफी सर्वे, हाईकोर्ट ने दिया ऐसा आदेश 

इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओऱ से मथुरा कोर्ट को निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने चार माह में वीडियोग्राफी करवाने को कहा है। अब ज्ञानवापी परिसर की तरह ही श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में भी वीडियोग्राफी होगी। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 29, 2022 8:28 AM IST

प्रयागराज: वाराणसी में ज्ञानवापी प्रांगण के बाद अब भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के जन्मभूमि प्रांगण की भी वीडियोग्राफी होगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि प्रांगण की वीडियोग्राफी करवाने का निर्देश दिया है। इसी के साथ हाईकोर्ट ने इश प्रकरण में चार माह में मथुरा कोर्ट को वीडियोग्राफी सर्वी की याचिका को निस्तारित करने का निर्देश भी दिया है। 

4 माह के भीतर सुनवाई कर निस्तारित करने का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से मथुरा जिला न्यायालय को शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की मांग में दाखिल हुए प्रार्थना पत्र पर 4 माह के भीतर सुनवाई कर उसे निस्तारित करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल के द्वारा दिया गया है। मनीष यादव की अर्जी पर अधिवक्ता रामानंद गुप्ता के पक्ष को सुनने के बाद कोर्ट की ओऱ से यह आदेश दिया गया है। हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद वीडियोग्राफी का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है। गौरतलब है कि मनीष यादव की ओर से दाखिल अर्जी के मुताबिक मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से विवादित परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने और उसकी निगरानी करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग को लेकर मथुरा जिला न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। यह प्रार्थना पत्र गत वर्ष दाखिल किया गया और एक साल से अधिक समय बीतने के बाद भी इसमें कोई सुनवाई नहीं हुई। 

हाईकोर्ट से मामले में हस्तक्षेप की थी मांग

इसी के बाद मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर मनीष यादव ने बीते दिनों सुनवाई जल्द पूरी करने की अर्जी इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की थी। इसी के साथ हाईकोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप की भी मांग की थी। कोर्ट ने इस अर्जी पर अधीनस्थ अदालत से आख्या मांगी और सोमवार को इस मामले में जिला न्यायालय को आदेश दिया गया। आदेश में कहा गया कि मथुरा जिला न्यायालय मनीष यादव के प्रार्थना पत्र पर चार माह में सुनवाई पूरी करते हुए उसे निस्तारित करे। 

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