यूपी में निकाय चुनाव की अधिसूचना पर लगी रोक, जानिए क्यों राज्य सरकार ने मांगा समय

यूपी नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए दाखिल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। जिसके बाद राज्य सरकार ने समय मांगा है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 13, 2022 9:03 AM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ द्वारा प्रदेश के नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना पर सोमवार को लगाई गई रोक कल तक जारी रहेगी। सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) को प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव कराने की अधिसूचना जारी करने पर मंगलवार तक अंतरिम रोक लगा दी। पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह पांच दिसंबर की अधिसूचना द्वारा जारी मसौदा आदेश के आधार पर आज तक अंतिम अधिसूचना जारी न करे। इस मामले को लेकर सुनवाई पीठ मंगलवार को भी जारी रखेगी। 

पांच दिसंबर को अधिसूचना को दी थी चुनौती
नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए दाखिल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। याचिकाकर्ताओं ने पांच दिसंबर, 2022 की अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसमें राज्य ने सोमवार शाम तक आरक्षण तय करने पर आपत्ति मांगी थी। दरअसल याचिकार्ताओं ने नगर चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन नहीं करने का आरोप यूपी सरकार पर लगाया है। 

Latest Videos

कोर्ट के सामने याचिकाकर्ताओं ने रखी है ये बात
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उच्चतम न्यायालय ने इसी साल सुरेश महाजन के मामले में दिए गए फैसले में स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण जारी करने से पहले तिहरा परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा यह भी था कि अगर तिहरा परीक्षण की औपचारिकता नहीं की जा सकती है तो अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) सीटों के अलावा बाकी सभी सीटों को सामान्य सीट घोषित करते हुए चुनाव कराए जाएंगे।

यूपी सरकार ने लगाया है याचिकाकर्ता पर आरोप
याचिका में आरोप लगाया है कि शीर्ष कोर्ट के स्पष्ट दिशानिर्देसों के बाद भी राज्य सरकार ने बिना तिहरा परीक्षण के पांच दिसंबर 2022 को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी शामिल किया गया है। जिसके बाद इस याचिका को लेकर यूपी सरकार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया है कि चुनाव कराने में देरी होगी। साथ ही पांच दिसंबर की अधिसूचना का एक मसौदा अधिसूचना है। याचिकाकर्ता या फिर जो भी व्यक्ति इससे असंतुष्ट हैं, वह आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं। इसी को साबित करने के लिए राज्य सरकार ने कोर्ट से समय मांगा है ताकि वह अपनी बात को पूरी तरह से अदालत के समक्ष रख सकें।

मामले को लेकर कोर्ट ने दिया ऐसा जवाब
राज्य सरकार की इस दलील से कोर्ट संतुष्ट नहीं हैं और चुनावी अधिसूचना के साथ-साथ पांच दिसंबर 2022 के उक्त मसौदा अधिसूचना पर भी अंतरिम रोक लगा दी है। पीठ का कहना है कि प्रथम दृष्टि से लगता है कि सरकार हाईकोर्ट द्वारा तय की गई प्रक्रिया को अपनाने की मंशा रखती तो पांच दिसंबर को जारी मसौदा अधिसूना में ओबीसी सीटों को शामिल नहीं किया जाता है। कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी सीटों को तभी अधिसूचित किया जा सकता है जबकि तिहरा परीक्षण औपचारिकता को पूरा न कर लिया जाए। इस आदेश को कोर्ट ने पारित कर दिया है।

कानपुर पुलिस हिरासत में युवक की मौत पर भड़के परिजन, बोले- पीट पीटकर की हत्या, SP ने लिया बड़ा एक्शन

Share this article
click me!

Latest Videos

10 साल की बच्ची का किडनैप के बाद रेप-मर्डर, फिर दहल उठा ममता बनर्जी का पं. बंगाल
हरियाणा चुनाव के10 अमीर प्रत्याशीः बिजनेसमैन सावित्री जिंदल से धनवान है यह कैंडीडेट
इजरायल ने हमास सरकार के चीफ सहित 3 टॉप लीडर्स को किया ढेर
जवानों का सबसे खतरनाक एक्शन, एक झटके में 28 नक्सली ढेर, जानें मुख्यमंत्री ने क्या कहा
उत्तराखंड: 200 फीट खाई में समा गई बारातियों की बस, तिनकों की तरह बिखरीं लाशें