
लखनऊ: बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ निर्धारित समय सीमा खत्म होने के बाद चुनाव प्रचार करने के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद शुक्रवार को लखनऊ की अदालत में पेश हुई। इस दौरान अदालत ने जोशी को हिरासत में ले लिया है। दस साल पुराने मामले में बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी समेत पांच लोगों को दोषी करार दिया है। उसके बाद एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने मामले में सभी दोषियों को सजा के तौर पर छह महीने की निगरानी पर रहने का आदेश देते हुए रिहा कर दिया है। दरअसल रीता पर समय खत्म होने के बाद चुनाव प्रचार करने का आरोप है।
30 दिन के अंदर जिला प्रोबेशन अधिकारी के सामने होंगे हाजिर
एमपी-एमएलए अदालत ने कहा कि छह महीने की साधारण निगरानी पर अच्छा चाल चलन रखने के लिए जिला प्रोबेशन अधिकारी के समक्ष जाकर 20-20 हजार की दो जमानतों के साथ इतनी ही धनराशि का व्यक्तिगत मुचलका दाखिल भी करेंगे। दस साल पुराने मामले में कोर्ट ने रीता बहुगुणा जोशी, संजय यादव, मनोज चौरसिया, राम सिंह और प्रभा श्रीवास्तव को आदेश दिया की वह 30 दिन के अंदर जिला प्रोबेशन अधिकारी के सामने हाजिर होंगे। निगरानी मामले में प्रोबेशन अधिकारी के समक्ष उपस्थिति के दिन से मानी जाएगी।
20 अक्टूबर को गिरफ्तारी वारंट जारी करने का दिया आदेश
दरअसल यह मामला साल 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान का है। बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी पर प्रचार समाप्त हो जाने के बाद प्रचार करने का आरोप लगा था। कोर्ट के वारंट पर शुक्रवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में सांसद जोशी हाजिर हुईं। उसके बाद कोर्ट ने उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दिया। उनके खिलाफ यह मुकदमा स्टेटिक मेजिस्ट्रेट ने दर्ज कराया था। आचार संहिता के उल्लंघन मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट ने भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ 20 अक्टूबर को गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया था।
बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी के खिलाफ जारी हुआ गिरफ्तारी वारंट, जानिए क्या है पूरा मामला
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