लखनऊ में सन हॉस्पिटल के संचालक पर फिर दर्ज हुई FIR, एक महीने से ICU में भर्ती मरीज से लाखों रकम वसूलने का आरोप

Published : Sep 26, 2022, 09:34 AM IST
लखनऊ में सन हॉस्पिटल के संचालक पर फिर दर्ज हुई FIR, एक महीने से ICU में भर्ती मरीज से लाखों रकम वसूलने का आरोप

सार

लखनऊ के गोमतीनगर स्थित सन हॉस्पिटल पर एक बार एफआईआर दर्ज हुई है क्योंकि एक महीने से ICU में भर्ती मरीज से लाखों की रकम वसूलने का आरोप है। मरीज के परिवार ने सोशल मीडिया पर मदद मांगने के बाद स्थानीय पत्रकार ने संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर स्थित सन हॉस्पिटल पर एक बार फिर एफआईआर दर्ज हुई है। शहर के इस अस्पताल में भर्ती मरीज से फर्जी वसूली की शिकायत मिली थी। जिसके बाद मरीज की मदद करने पहुंचे स्थानीय पत्रकार ने एफआईआर दर्ज कराई है। सन अस्पताल में हो रही फर्जी तरीके से वसूली को लेकर स्थानीय पत्रकार को सोशल मीडिया पर जानकारी मिली थी, जिसका उन्होंने विरोध किया। इतना ही नहीं मरीज की मदद के लिए पहुंचे पत्रकार के हस्तक्षेप करने पर हॉस्पिटल के मालिक ने पत्रकार को जान से मारने की धमकी दी।

फालतू के कारण बताकर परिवार से ली लाखों की रकम
दरअसल सन अस्पताल में एक महीने से ICU में भर्ती मरीज से अस्पताल प्रशासन ने फालतू के कारण बता कर लाखों की रकम वसूली थी। मरीज के परिवार ने सोशल मीडिया में मदद की गुहार लगाई थी। जिसके बाद स्थानीय पत्रकार मदद के लिए पहुंचे। हॉस्पिटल के मालिक अखिलेश पांडे से जब अनियमितताओं पर सवाल पूछा गया तो वह भड़क गए और कहा कि मामले में पड़ोगे तो जान से मार देंगे। इतना ही नहीं इससे पहले भी हॉस्पिटल के संचालक अखिलेश ने कोविड के दौर में ऐसे ही पत्रकार को बंधक बनाकर मारा था। 

मरीज को सन अस्पताल से  KGMU में कराया शिफ्ट
यह मामला सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। जिसके बाद मरीज को KGMU में शिफ्ट कराया गया। अस्पताल प्रशासन से जब मरीज के परिजनों ने दवाईयों का आधिकारिक ब्योरा मांगा तो ब्लैक में दवाईयां लाने की बात को स्वीकार किया है। सन हॉस्पिटल के संचालक अखिलेश पांडे के खिलाफ पहले से ही 27 मामले दर्ज है। फिलहाल एक और मामला विभूतिखंड थाने में दर्ज हो गया है। आपको बता दें कि कोविड के दौरान इस अस्पताल पर कोविड मरीजों के इलाज में गंभीर लापरवाही का आरोप भी लगाया था क्योंकि अस्पताल के पास ऑक्सीजन सिलेंडर होने के बावजूद वहां तीमारदारों को बताया जाता है कि सिलिंडर नहीं हैं। तीमारदारों पर दबाव बनाने के लिए अस्पताल प्रशासन अवैध बिल बना दे रहा था। 

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