यूपी में आवारा कुत्तों का आतंक जारी, अस्पतालों में रैबीज के इंजेक्शन की किल्लत

केजीएमयू में कुत्ते के शिकार बने मरीजों को मुकम्मल इलाज का इंतजाम नहीं है। हालात यह है कि मरीजों को रैबीज तक का इंजेक्शन नहीं लग पा रहा है। वार्ड भी बदहाल है। बदहाल व्यवस्था का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। लिंब सेंटर के प्रथम तल पर संक्रामक रोग विभाग बना है। इसमें 40 बेड हैं। रोजाना चार से पांच संक्रमक रोगी आ रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Apr 8, 2022 9:19 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं के साथ-साथ आवारा कुत्तों का आतंक भी बढ़ता जा रहा है। आए दिन आवारा कुत्ते किसी ना किसी को अपना शिकार बना रहें हैं। बीते बुधवार को ठाकुरगंज में मासूम भाई-बहन को आवारा कुत्तों ने काट लिया था। इलाज के दौरान मासूम मोहम्मद रजा ने तोड़ा दम दिया था। इसके बाद भी अस्पतालों में अव्सवस्थाओं का दौर जारी है। 

केजीएमयू में कुत्ते के शिकार बने मरीजों को मुकम्मल इलाज का इंतजाम नहीं है। हालात यह है कि मरीजों को रैबीज तक का इंजेक्शन नहीं लग पा रहा है। वार्ड भी बदहाल है। बदहाल व्यवस्था का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। लिंब सेंटर के प्रथम तल पर संक्रामक रोग विभाग बना है। इसमें 40 बेड हैं। रोजाना चार से पांच संक्रमक रोगी आ रहे हैं। जबकि हफ्ते में तीन से चार रैबीज के मरीज गंभीर अवस्था में आ रहे हैं। वहीं रोजाना दो से तीन मरीज रैबीज का इंजेक्शन लगवाने आ रहे हैं। वार्ड में भीषण गंदगी है। हालात यह हैं कि किसी भी बेड पर चादर तक नहीं बिछी है। मरीजों को रबर के गद्दों पर लिटाकर इलाज मुहैया कराया जा रहा है।

इंजेक्शन मिलने में लगता है एक दिन का समय
केजीएमयू का करीब 930 करोड़ रुपये सालाना बजट है। फिर भी रैबीज मरीजों को इंजेक्शन तक नहीं मिल पा रहा है। बदहाली का आलम यह है कि गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन लगाया जाता है। लेकिन विभाग में इंजेक्शन की कमी है। अधिकारियों के मुताबिक जब मरीज भर्ती होता है तो उसके नाम पर इंजेक्शन लोकल परचेज कर खरीदा जाता है। इस प्रक्रिया में कम से कम एक दिन का वक्त लगता है। इस दौरान मरीज बिना पुख्ता इलाज तड़पता रहता है।

कुत्तों के काटने से मासूम ने तोड़ा दम
बुधवार को ठाकुरगंज में मासूम भाई-बहन को आवारा कुत्तों ने काट लिया था। इलाज के दौरान मासूम मोहम्मद रजा ने तोड़ा दम दिया था। जबकि बच्ची जन्नत फातिमा अभी ट्रॉमा सेंटर में जिन्दगी और मौत के बीच झूल रही है। बच्ची का पीडियाट्रिक इंटेंशिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में इलाज चल रहा है। ट्रॉमा सेंटर के सीएमएस डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि बच्ची की हालत स्थिर है। बच्चे को निशुल्क इलाज मुहैया कराया जा रहा है। रैबीज के इंजेक्शन के साथ ह्यूमन इम्यूनोग्लोबुलीन इंजेक्शन भी लगाया गया है।

बसों में साफ-सफाई की व्यवस्था के साथ किया जाए ये काम, परिवाहन राज्यमंत्री दयाशंकर ने दिए निर्देश

Share this article
click me!