छुट्टा पशुओं की समस्या से किसानों को राहत दिलाने की तैयारी में योगी सरकार, गो अभयारण्य योजना की शुरुआत

गो अभयारण्य योजना के जरिए शुरुआत में 200 विधानसभा क्षेत्रों में गौशालाएं बनाने की योजना है। प्रत्येक गौशाला की क्षमता 5 हजार या इससे अधिक गोवंश की है। ये बड़ी गौशालाएं सरकारी खाली जमीन, बंजर जमीन व चारागाह पर विकसित की जाएंगी। अगर ऐसी भूमि पर अवैध कब्जे हैं तो उन्हें हटाया जाएगा।
 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में छुट्टा पशुओं का मुद्दा छाया रहा। विपक्ष ने जमकर इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। किसानों के लिए बीते पांच साल में यह बड़ी समस्या रही है। इस बात को बीजेपी सरकार भी मानने से इंकार नहीं कर सकती है। शाहद यही वजह है कि योगी सरकार के गठन होने के कुछ ही दिन बाद सरकार छुट्टा पशुओं के ‘गो अभयारण्य योजना’ की शुरुआत करने जा रही है। 

इस योजना के जरिए शुरुआत में 200 विधानसभा क्षेत्रों में गौशालाएं बनाने की योजना है। प्रत्येक गौशाला की क्षमता 5 हजार या इससे अधिक गोवंश की है। ये बड़ी गौशालाएं सरकारी खाली जमीन, बंजर जमीन व चारागाह पर विकसित की जाएंगी। अगर ऐसी भूमि पर अवैध कब्जे हैं तो उन्हें हटाया जाएगा।

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जिले की सभी न्याय पंचायतों में गौशालाएं विकसित की जाएंगी
पशुधन, दुग्ध विकास व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि छुट्टा पशु किसानों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। इस समस्या के स्थायी समाधान की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। इस पर तेजी से अमल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आंवला में मॉडल गौशाला विकसित की जाएगी। जिले की सभी न्याय पंचायतों में ऐसी गौशालाएं विकसित की जाएंगी।

गौशाला में होगा प्राकृतिक वातावरण 
मंत्री ने बताया कि गौशाला में प्राकृतिक वातावरण होगा। मनरेगा, पंचायतीराज, वन व पेयजल विभाग के सहयोग से यहां चारा, पानी, चहारदीवारी, शेड, पशुओं के इलाज व मानव संसाधन सहित सभी तरह की आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। सभी तरह के गोवंश साथ-साथ रखे जाएंगे। गायों के दुग्ध व दुग्ध सह उत्पाद से गौशाला की आय बढ़ेगी। दूध से लेकर गोबर व गोमूत्र तक का उपयोग किया जाएगा। मंत्री के अनुसार छुट्टा पशुओं के संरक्षण से संबंधित नई योजना से आमजन को जोड़ने का प्रयास होगा। 

गोवंश के गोबर का होगा व्यावसायिक उपयोग 
उन्होंने बताया कि कई बड़ी कंपनियां गोबर की खरीद कर व्यावसायिक उपयोग कर रही हैं। सरकार इन गौशालाओं में गोवंश के गोबर का व्यावसायिक उपयोग सुनिश्चित करेगी। गौशालाएं अपने संसाधनों से चलेंगी। दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुर्रा भैंसों के पालन को प्रोत्साहन दिया जाएगा। मुर्रा भैंस अधिक दूध देती हैं। इसके लिए मुर्रा भैंसे के सीमेन की कीमत घटाने पर विचार हो रहा है। मंत्री धर्मपाल ने बताया कि मुर्रा भैंसे का सीमेन बहुत महंगा है। इसकी वजह से इसका उपयोग बहुत कम हो रहा है। इसके सीमेन को सस्ता कर 100 रुपये में उपलब्ध कराया जाएगा। इसी तरह धारपारकर व साहीवाल गाय के पालन को प्रोत्साहन देने की योजना है। साथ ही उन्होंने कहा कि तमाम जगह वक्फ की जमीन पर कब्जे की सूचना मिल रही है। ऐसे सभी कब्जे हटाए जाएंगे। वक्फ की संपत्ति का नियमानुसार उपयोग किया जाएगा।

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