
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतक के घरवालों को उसके कमरे से तीन पेज का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें उसने जवाहरलाल नेहरू युवा कौशल केंद्र के ट्रेनर और सीनियर्स पर प्रताड़ित करने की बात लिखी है। 21 साल के छात्र जयदीप यादव के पिता संत कुमार यादव ने सुसाइड नोट के आधार पर ट्रेनर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। मृतक युवक ने सुसाइड नोट में अपना पूरा दर्द बयां कर दिया है।
मानसिक और शारीरिक रूप से किया जा रहा था परेशान
युवक ने सुसाइड नोट में बताया कि कई दिनों से उसको मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया जा रहा था। सीनियर्स कुछ नहीं करते बल्कि सिर्फ उसको पागल बनाने की कोशिश करते हैं। कमरे में बंद कर उसके साथ मारपीट करते, गालियां देते और मूर्ख कहते हैं। इतना ही नहीं युवक ने नोट में लिखा है कि सीनियर्स और ट्रेनर कहते कि तुम यहां से चल कर जाने लायक नहीं रहोगे। पागल-खाने के साथ-साथ जेल भेजने की आए दिन धमकी देते। इन सबसे तंग आकर युवक ने अपनी जिंदगी को समाप्त कर लिया।
मृतक छात्र ने सुसाइड नोट में लिखी ये बातें
ऊं नम: शिवाय... मैं अपने पूरे होशो हवास में अपनी बात लिख रहा हूं कि पिछले कई दिनों से मुझे मानसिक रूप से परेशान किया जाता है। वहां के सीनियर कुछ नहीं करते, मुझे पागल बनाने की कोशिश की जाती है। मुझे बेवकूफ मूर्ख भी कहा जाता है। उस दिन मुझे पहले कुछ बुरे और नशेड़ी, गंजेड़ी, शराबी लड़कों ने बिना बात के ही मारना-पीटना शुरू कर दिया। जब मैंने अपने बचाव में उनसे लड़ने लगा तभी टाइम सेंटर के स्टाफ और हेड ने मिलकर मुझे एक रूम में बंद कर दिया। मुझे डराने-धमकाने लगे। मुझे मारने की धमकी देने लगे और कहने लगे कि तुम यहां से चलकर नहीं जा पाओगे। मुझे पागल साबित कर पागलखाना भेजने की धमकी दे रहे थे। जेल भेजने की धमकी दे रहे थे।
गंदी-गंदी गालियां कहकर करते थे जलील
इसके आगे युवक ने लिखा है कि टीचर भी कुछ नहीं करते। उनके साथ खाते-पीते और घूमते थे। वही लड़के उन्हें अच्छे लगते थे। उनके सामने गलत हो रहा तो भी वो देख कर कुछ नहीं कहते। गंदी गंदी गालियां देते थे। कुत्ता-कमीना कह के जलील करते थे। वह हर बात पर सिर्फ हंसते थे और मजा लेते थे। हां, मुझे वह अच्छे लगते हैं और मैं उनकी इज्जत करता था, लेकिन उन्हें मेरी कोई परवाह नहीं थी। मुझे लगता था कि यह कैसा टीचर है जो क्लास में बैठे हैं, वह गलत और जिनके साथ घूम टहल रहे हैं वे सही हैं। उनकी नजरों में केवल वही सही चाहे कुछ भी हो और उनका नाम मेरे प्यारे मिस्टर राजेंद्र सिंह ठाकुर जी है जो मेरे सर जी हैं। जिनको मैं फंसाना नहीं चाहता हूं मगर उन्होंने काम ही ऐसा ही किया है।
युवक का नहीं था लड़ाई-झगड़े में कोई विश्वास
छात्र ने नोट में आगे लिखा कि जो मुझे पहली नजर में बहुत अच्छे लगे और उनके दिल में मेरे लिए बहुत ज्यादा इज्जत थी। लेकिन, वह शायद मुझे समझ नहीं सके और हमेशा उनके लिए गलत बना रहा। कभी उनके सामने सही नहीं बन सका। जब मैंने बहुत कोशिश की उनके लिए अच्छा बनने की लेकिन सब विफल। बाते तो बहुत हैं, जिन्हें लिखने में मैं कतरा रहा हूं। सच में उन्हें नहीं फंसाना चाहता हूं, वो मेरे प्रिय सर जी है लेकिन उन्होंने काम ही ऐसा किया है। वहां के सेंटर हेंड नीरज पटेल भी मुझे काफी परेशान कर रहे है। मुझे सेंटर हेंड में प्रवेश नहीं करने देते। चेहरे, सिर, गर्दन और कान पर मुझे तेज से मारा करते थे। मुझे बहुत दर्द होता था। मेरी खोपड़ी फटती थी। मैं तो सब से दोस्ती करना चाहता था और करता भी था। मेरा विश्वास लड़ाई-झगड़ा, गाली गलौज में नहीं था। लेकिन, उन्होंने मुझे बहुत परेशान और विवश कर रखा था।
अंतिम इच्छा- मेरे शरीर को चीरा-फाड़ा न जाए
मेरी मौत का सबसे बड़ा कारण मेरे प्यारे मिस्टर राजेंद्र सिंह ठाकुर जी और सेंटर हेड नीरज पटेल हैं। वह सेंटर हेड हैं तो क्या कुछ भी करेंगे। मेरा निवेदन है कि प्लीज मेरे शरीर को चीरा-फाड़ा न जाए। यही मेरी अंतिम इच्छा है। बाकी आप लोगों की मर्जी। दूसरी ओर भाई प्रदीप यादव ने पुलिस पर मुकदमा ना लिखने का भी आरोप लगाया है। आरोप है कि मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। इस मामले में इंस्पेक्टर इंदिरानगर छत्रपाल सिंह का कहना है कि पिता की तहरीर पर ट्रेनर राजेंद्र सिंह ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच और सुसाइड नोट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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