राज्य सरकार की कड़ी निगरानी में 14 से होगी मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं, उड़नदस्तों के गठन की हैं तैयारी

उत्तर प्रदेश में मदरसा बोर्ड की सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी की परिक्षाएं 14 मई से होगी। नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए राज्य सरकार ने कड़े प्रबंध किए है। हर स्तर पर उड़नदस्तों का गठन होगा। साथ ही बालिकाओं की तलाशी सचल दल की महिला सदस्य ही लेंगी। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार जिस प्रकार अधिकारियों, मंत्रियों, कर्मचारियों समेत सभी पर सख्ती के साथ कार्रवाई कर रही है। इसी प्रकार हर क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए अक्सर कोई ठोस कदम उठाते हुए फैसला लेती है। इसी प्रकार राज्य सरकार की कड़ी निगरानी में मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं 14 मई से कराने जा रही है। नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए मदरसा बोर्ड ने परीक्षा केंद्रों की औचक जांच के लिए भी सख्त कदम उठाने जा रही है।

सचल दल की महिला सदस्य लेंगी तलाशी
मदरसा बोर्ड ने परीक्षा केंद्रों की औचक जांच के लिए कई स्तरों पर अलग-अलग उड़नदस्ते बनाने का निर्णय किया है। जिले को सेक्टरों में बांटकर जिला प्रशासन के सहयोग से सेक्टर मजिस्ट्रेट एवं सचल दल भी गठित किए जाएंगे। बोर्ड के रजिस्ट्रार एसएन पाण्डेय ने बताया कि परीक्षा केंद्रों की जांच के लिए कई उड़न दस्ते बनाए जाएंगे। इनमें विद्यालय स्तर, जिला स्तर व परिषद स्तर पर अलग-अलग उड़नदस्ते बनाने का निर्णय लिया गया है। इतना ही नहीं बालिकाओं की तलाशी सचल दल की महिला सदस्य ही लेंगी।

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दस्ता के लिए सरकार ने जारी कर दी नीति
इस बार मदरसा बोर्ड की सेकेंडरी (मुंशी, मौलवी) व सीनियर सेकेंडरी (आलिम, कामिल एवं फाजिल) परीक्षाएं 14 मई से शुरू होने जा रही हैं। मदरसा बोर्ड ने नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए कई अहम निर्णय लिए हैं। इसके लिए सरकार ने एक नीति जारी कर दी है। जिस भी परीक्षा केंद्र में ज्यादा गड़बड़ी मिलेगी उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी। मदरसो बोर्ड के चेयरमैन के अनुमोदर पर रजिस्ट्रार के नेतृत्व में एक सचल उड़नदस्ता का गठन किया जाएगा। 

जिलों के सेक्टरों में बांटकर सेक्टर मेजिस्ट्रेट 
मदरसों में परीक्षा से पहले उड़नदस्ता के गठन के लिए विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण जेपी सिंह ने सभी जिलों के डीएम को इसके लिए दिशा-निर्देश भेज दिए है। राज्य के हर जिले में परीक्षा को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए डीएम व एसएसपी से पुलिस फोर्स की मांग की है। प्रत्येक जिले में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के यहां एक नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया जाएगा। साथ ही जिलों को सेक्टर में बांटकर सेक्टर मेजिस्ट्रेट बनाए जाएंगे।

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