
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज में जियामऊ स्थित शत्रु संपत्ति पर धोखाधड़ी से कब्जा करने के मामले में मुख्तार अंसारी के आरोपी बेटे उमर अंसारी को राहत नहीं मिली है। बता दें कि उमर अंसारी ने धोखाधड़ी से भाई अब्बास और पिता मुख्तार के नाम पर करवा ली थी। वहीं जिला जज संजय शंकर पांडेय ने उमर अब्दुल्ला की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। उमर अब्दुल्ला ने शत्रु संपत्ति पर कब्जा कर अवैध मकान का निर्माण कराया था। वहीं जिला जज ने मामले पर सुनवाई करते हुए अपराध को गंभीर करार देते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी।
हजरतगंज थाने में की गई थी रिपोर्ट
वहीं जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकील मनोज त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि अगस्त 2020 में लेखपाल सुरजन लाल ने हजरतगंज थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इस दौरान आरोप लगाते हुए कहा गया था कि माफिया मुख्तार अंसारी और उनके बेटों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी निष्क्रांत जमीन पर एलडीए से नक्शा पास करवा लिया था। इसके बाद वहां पर अवैध निर्माण कर कब्जा कर लिया गया। बताया गया कि कब्जे वाली जमीन मो. वसीम के नाम पर थी। पूर्व नियोजित योजना और अपराधिक साजिश के तहत इस काम को अंजाम दिया गया है।
फर्जी दस्तावेज बनाकर किया अवैध कब्जा
वहीं मो. वसीम बाद में पाकिस्तान चला गया। जिसके बाद यह जमीन निष्क्रांत संपत्ति के तौर पर सरकार के पास चली गई। बाद में फिर बिना किसी अधिकारी के आदेश के यह भूमि लक्ष्मी नारायण के नाम पर दर्ज हो गई। फिर उसके बाद कृष्ण कुमार के नाम पर दर्ज हो गई। वहीं साजिश के तहत मुख्तार अंसारी, अब्बास और उमर अंसारी ने इसे हड़प लिया। बता दें कि मुख्तार अंसारी जेल में सजा काट रहे हैं। आरोप लगाया गया कि दबाव डालकर मुख्तार अंसारी और उनके बेटों ने शत्रु संपत्ति को अपने नाम दर्ज करा लिया था।
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