Mahashivratri 2022: भगवान शंकर के जयकारे के साथ विशेष पंचक्रोशी परिक्रमा शुरू, हजारों युवाओं का निकला हुजुम

मणिकर्णिका घाट पर युवाओं के हुजूम के कारण हर-हर महादेव, बोल बम और जय शंकर का घोष हर ओर गुंजायमान रहता। इस यात्रा के दौरान बीच में पड़ने वाले पांच पड़ावों पर ही विश्राम की परंपरा है। इन पांच पड़ावों की परंपरागत विश्राम के साथ यात्रा पूर्ण होती है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 28, 2022 10:05 PM IST

वाराणसी। महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर वि‍शेष पंचक्रोशी परिक्रमा (PanchKroshi Parikrama) करने के लिए युवाओं का हुजूम सोमवार शाम से ही मणिकर्णिका घाट पर उमड़ने लगा। घाट पर स्थित चक्रपुष्कर्णी कुंड और गंगा में स्नान कर हजारों युवाओं का हुजूम संकल्प लेने के साथ ही पंचक्रोशी यात्रा पर शाम ढ़लते ही निकल पड़ा है। इसी के साथ काशी के चारो ओर स्‍थि‍त पंचकोशी परि‍क्रमा मार्ग पर हर हर महादेव के जयघोष गूंज रहे हैं।

पांच पड़ावों की परंपरा है इस पवित्र यात्रा में...

काशी में महाशिवरात्रि का पर्व विशेष और काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां कई दिनों पहले से ही इसका आयोजन शुरू हो जाता है। विभिन्न तैयारियों के साथ पंचकोशी यात्रा (Panch Koshi Yatra) का भी विशेष स्थान है। हजारों की संख्या में उत्साह और भक्ति से लबरेज होकर इसमें बेहद भक्तिपूर्ण किंतु अनुशासित रूप से भाग लेते हैं। सोमवार को मणिकर्णिका घाट पर युवाओं के हुजूम के कारण हर-हर महादेव, बोल बम और जय शंकर का घोष हर ओर गुंजायमान रहता। भोलेनाथ के नारों से पूरी काशी का माहौल शिवमय हो चला है। इस यात्रा के दौरान बीच में पड़ने वाले पांच पड़ावों पर ही विश्राम की परंपरा है। इन पांच पड़ावों की परंपरागत विश्राम के साथ यात्रा पूर्ण होती है। पंचकोशी परिक्रमा करने वाले परंपरानुसार इन पड़ावों पर विश्राम कर आगे बढ़ते हैं। 

क्या है मान्यता?

ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने पत्नी सीता और भाइयों  के साथ अपने पिता दशरथ को श्रवण कुमार के  श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए पहली बार यह पवित्र परिक्रमा की थी। दूसरी बार जब भगवान राम ने रावण का संहार किया तब ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए सीता और लक्ष्मण के साथ पंचक्रोशी की यात्रा की। यह भी माना जाता है कि द्वापर युग में अज्ञातवास के समय पाण्डवों ने द्रौपदी के साथ यह यात्रा की थी।

 

Share this article
click me!