सफेद साड़ी वाली महिला का डर: मिड-डे-मील खाकर बीमार हुई छात्राओं के बाद भूत के डर से स्कूल नहीं जा रहे बच्चे

यूपी के महोबा के सरकारी स्कूल में 8-10 बच्चे स्कूल आ रहे हैं। अन्य छात्राओं का कहना है कि स्कूल में भूत-प्रेत का साया है। जिसके बाद उनकी तबियत खराब हो गई थी। वहीं बच्चों के अभिभावकों के मन में भी यह अफवाह घर कर गई है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 22, 2022 10:28 AM IST

महोबा: उत्तर प्रदेश के महोबा के महुआ गांव का एक सरकारी स्कूल इन दिनों चर्चा में है। बता दें कि पिछले 3 दिन से 236 बच्चों वाले इस स्कूल में 226 बच्चे नहीं आ रहे हैं। गांव में अफवाह है कि स्कूल में भूत-प्रेत का साया है। बच्चों के पैरेंट्स के अंदर यह डर इस कदर बैठ गया है कि वह बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। शिक्षक बड़ी मुश्किल से 10-5 बच्चों को समझाबुझा कर स्कूल ला रहे हैं। जिससे कि दूसरे बच्चों के मन से स्कूल में भीत होने की अफवाह निकल सके। बीते 19 दिसंबर की दोपहर को कन्या प्राइमरी स्कूल में मिड डे-मील का भोजन खाने के बाद 15 छात्राओं की तबियत अचानक से खराब हो गई थी। इस दौरान किसी ने सिर तो किसी ने पेट में दर्द होने की बात बोली। इनमें से कुछ छात्राएं ऐसी भी थीं जिन्होंने मिड-डे मील नहीं खाया था। 

15 छात्राओं की तबियत हुई थी खराब
स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल में जिन छात्राओं की तबियत खराब हुई उन्होंने किसी सफेद साड़ी पहने महिला को देखने के बारे में बताया। बीमार छात्राओं के परिजनों ने बताया कि बच्चियां बता रही थीं कि सफेद साड़ी वाली महिला पायल बजा कर उन्हें बुला रही थी। साथ ही काला दुपट्टा दिखा रही थी। जिसके बाद से एक के बाद एक छात्राओं की तबियत बिगड़ने लगी। बता दें कि जहां पर बच्चियों की तबियत खराब हुई वहां पर तंत्र-मंत्र करवा कर बंधेज कराया गया है। इसके बाद गांव में देवता दरबार लगाया गया। इस दौरान छात्राओं की तांत्रिक द्वारा झाड़फूंक करवाई गई। इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है। कोई काला साया होने की बात बोल रहा है तो कोई इस मामले को भूच-प्रेत और जिन्न से जोड़ रहा है। 

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तांत्रिक कर रहा बच्चों का इलाज
अन्य छात्राओं ने बताया कि स्कूल में कई सारी अजीब चीजें होती हैं। वहीं लोगों ने बताया कि कभी स्कूल का मेन गेट भारी हो जाता है तो कभी खुद ही खुल जाता है। साथ ही स्कूल में लगे हैंडपाइप से खुद से पानी आता रहता है। स्कूल के शिक्षक संजय ने बताया कि स्कूल में घटना वाले दिन खाना परोसने के दौरान अचानक से बच्चियां भागने लगीं। कुछ छात्राओं की तबियत खराब होने लगी। जिसके बाद हम लोगों को यह समझ नहीं आ रहा था कि किसे संभाले और किसे नहीं। शिक्षकों ने बताया कि अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे। बताया जा रहा है कि 2 महीने पहले भी ऐसा मामला सामने आया था। वहीं दोबारा इस घटना के बाद से बच्चियां काफी डरी हैं। जिस तांत्रिक ने बच्चियों की झाड़फूंक की उसने बताया कि बच्चों पर जिन्न और शैतान का साया है। वहीं ग्राम प्रधान ने कहा कि स्कूल में भूत-प्रेत का साया नहीं है। गांव वालों की तसल्ली के लिए बंधेज कराया गया है। 

मनोचिकित्सक करेगा बच्चियों का इलाज
वहीं BSA अजय कुमार ने कहा कि बच्चियां क्यों बीमार पड़ी इसकी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि बच्चियों ने मिड-डे मील का खाना खाया ही नहीं था। जिससे कि वह बीमार पड़ती। BSA ने कहा कि छात्राओं के इलाज के लिए मनोचिकित्सक की व्यवस्था की जाएगी। मनोचिकित्सक बात कर बच्चियों की हालत में सुधार करेगा। एक्सपर्ट का मानना है कि यह बहुत कॉमन बात है। अपने घरों से ही कई बातें बच्चों के दिमाग में जाती हैं। फिर अपने दोस्तों से बात करने या किसी अन्य से बात सुनने पर यह बातें बच्चों के मन में घर कर जाती हैं। इस मामले में भी ऐसा हो सकता है। काउंसिलिंग की मदद से इस वहम को दूर किया जा सकता है। 

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