ऑटो का हुआ था 24500 रुपये चालान, मां का मंगलसूत्र बेचकर भरने पहुंचा था जुर्माना, ARTO ने की ऐसी पेशकश

Uttar Pradesh ARTO paid challan यूपी एक अधिकारी ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए ऐसा काम किया जिससे सरकारी राजस्व को न नुकसान हुआ न ही एक मासूम का मानवता पर से भरोसा उठा। यह घटना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह मंडल गोरखपुर के महराजगंज जिले की है। 

Dheerendra Gopal | Published : Jun 16, 2022 5:59 PM IST

महराजगंज। भ्रष्टाचार की कहानियों में घिरी ब्यूरोक्रेसी के बीच से कई ऐसी घटनाएं सामने आ जाती हैं जिससे मानवता पर से भरोसा बना रह सके। पैसा कमाने में व्यस्त दुनिया में आरसी भारती जैसे अधिकारी भी हैं जिनके भरोसे यह कहा जा सकता है कि मानवता अभी जिंदा है। अपनी मां का मंगलसूत्र बेचकर चालान भरने आए एक ऑटो ड्राइवर का जुर्माना तो एआरटीओ ने भरा ही उसे आगे पढ़ाई के लिए मदद का आश्वासन भी दिया। 

क्या है ऑटो चालान की यह कहानी?

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महराजगंज जिले के सिंहपुर ताल्ही गांव के रहने वाले राजकुमार ऑटो ड्राइविंग कर अपनी आजीविका चलाते है। बीते 8 जून को राजकुमार के ऑटो का एआरटीओ ने चालान कर दिया था। राजकुमार रोज कमाते और किसी तरह परिवार को भरण-पोषण करते। 24500 रुपये का जुर्माना उनके लिए भरना बेहद मुश्किल था। बुधवार को एआरटीओ दफ्तर राजकुमार का बेटा विजय कुमार पहुंचा। वह अपनी मां का मंगलसूत्र बेचकर किसी तरह 13 हजार रुपये जुटा पाया था। वह परेशान था कि इतनी रकम लेकर कोई बाकी का पैसा माफ करा दे और उसके पिता का ऑटो छूट जाए। लेकिन चालान रसीद कट चुकी थी। 

एआरटीओ आरसी भारती की पड़ी निगाह

परेशान युवक विजय कुमार पर एआरटीओ आरसी भारती की नजर पड़ी। आरसी भारती ने युवक से माजरा जानना चाहा। विजय ने बताया कि उसके पिता के ऑटो का चालान हो गया है। मां के मंगलसूत्र बेचकर किसी तरह 13 हजार रुपये ही जुटा पाया हूं। इतना कहने के बाद वह रो पड़ा। आरसी भारती युवक की कहानी सुन उसे इत्मीनान दिया। फिर उसे आराम से बैठने को कहते हुए अपने बाबू को बुलाया और चालान के 24500 रुपये अपनी जेब से देकर रसीद लाने को कहा। विजय के ऑटो का चालान जमा होने के बाद उसे रसीद कर उसकी मां के मंगलसूत्र के पैसे वापस ले जाकर उसे लेने को कहा। एआरटीओ ने उस ऑटो का इंश्योरेंस भी कराया। 

दरअसल, विजय अपनी पांच बहनों में इकलौता भाई है। 10वीं के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी थी। एआरटीओ आरसी भारती ने बताया कि विजय की कहानी सुनकर उसकी मदद का मन हुआ। उसे आगे पढ़ाई के लिए भी कहा। अगर वह आगे पढ़ना चाहेगा तो उसके लिए पूरी मदद करेंगे।

 

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