'मुलायम सिंह यादव' की यादों के सहारे होगा मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव, 1996 के बाद कोई दूसरा दल नहीं जीत सका यह सीट

Published : Nov 07, 2022, 11:20 AM ISTUpdated : Nov 07, 2022, 11:22 AM IST
'मुलायम सिंह यादव' की यादों के सहारे होगा मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव, 1996 के बाद कोई दूसरा दल नहीं जीत सका यह सीट

सार

समाजवादी पार्टी मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव को नेताजी की यादों के सहारे लड़ने की तैयारी में है। गौर करने वाली बात है कि इस सीट पर 1996 के बाद से कोई दूसरा दल चुनाव नहीं जीता है।

मैनपुरी: मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उपचुनाव को लेकर शंखनाद हो चुका है। भाजपा यहां उपचुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पूरा जोर लगाने की तैयारी में है। पार्टी की नीतियों और सरकार की योजनाओं के दम पर मैदान में उतरने की तैयारी की जा रही है। वहीं सपा यह उपचुनाव नेताजी की यादों के सहारे लड़ने की तैयारी में जुटी हुई है। मुलायम सिंह की यादें आज भी यहां के लोगों के दिलों में ताजा है और उनकी छाप ही थी जिसके चलते 1996 के बाद 2019 तक यहां कोई अन्य पार्टी का उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। मुलायम के इस गढ़ को बचाने के लिए सपा पूरे जोर से प्रचार प्रसार करने की तैयारी भी कर रही है।

मुलायम की यादों के सहारे होगा चुनाव
गौरतलब है कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन 10 अक्टूबर को हो गया था। वह मैनपुरी से सांसद थे। उनके निधन के बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ और अब यहां 5 दिसंबर को मतदान होगा। ज्ञात हो कि मुलायम सिंह यादव ने पहली बार 1996 में मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। सपा के गठन के बाद किसी अन्य दल ने इस सीट पर जीत नहीं दर्ज की। इसी के चलते मैनपुरी को सपा का गढ़ कहा जाता है। इस गढ़ में जीत के लिए तमाम दलों ने प्रयास किया और गठजोड़ भी बनाया लेकिन किसी को भी सफलता हाथ नहीं लगी। नेताजी के निधन के बाद उनके बिना ही उनकी कर्मभूमि का यह चुनाव होगा। विरोधी दल पूरा प्रयास करेंगे की इस गढ़ में सेंधमारी इसी उपचुनाव में कर ली जाए। हालांकि सपा नेताजी की विरासत वाली इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए उतरेगी। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता का प्रयास रहेगा की नेताजी की यादों के सहारे यहां का चुनाव लड़ा जाए और उनके नाम पर ही यहां जीत भी दर्ज की जाए।

मैनपुरी में अब तक चुने गए सांसद
सपा के गठन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट पर कुल 9 लोकसभा चुनाव हुए हैं। प्रत्याशी कोई भी रहा हो, पर्दे के पीछे हमेशा नेताजी ही रहे हैं। कई बार उपचुनाव हुए और नेताजी के अलावा जो भी प्रत्याशी बना लोगों ने उसके नाम पर मुहर लगा दी। आइए एक नजर डालते हैं इस सीट के इतिहास पर 
1952- बादशाह गुप्ता - कांग्रेस
1957- वंशीदास धनगर -  प्रसोपा
1962- बादशाह गुप्ता - कांग्रेस
1967- महाराज सिंह - कांग्रेस
1971- महाराज सिंह - कांग्रेस
1977- रघुनाथ सिंह वर्मा - लोकदल
1980- रघुनाथ सिंह वर्मा - जनता पार्टी
1984- बलराम सिंह यादव - कांग्रेस
1989- उदयप्रताप सिंह यादव - जनता दल
1991- उदयप्रताप सिंह यादव - सजपा
1996-  मुलायम सिंह यादव - समाजवादी पार्टी
1998- बलराम सिंह यादव - समाजवादी पार्टी
1999- बलराम सिंह यादव - समाजवादी पार्टी
2004- मुलायम सिंह यादव - समाजवादी पार्टी
2004- धर्मेंद्र यादव- (उपचुनाव) समाजवादी पार्टी
2009- मुलायम सिंह यादव - समाजवादी पार्टी
2014-  मुलायम सिंह यादव - समाजवादी पार्टी
2014-तेजप्रताप यादव - (उपचुनाव) समाजवादी पार्टी
2019- मुलायम सिंह यादव - समाजवादी पार्टी

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