Special Story: डकैत से दोस्ती बनी वजह और सपा आज तक नहीं जीत पाई यह सीट

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार कई बार बन चुकी हैं। हालांकि अभी तक बुंदेलखंड की मानिकपुर विधानसभा सीट उसकी टीस बनी हुई है। पार्टी ने यहां जीतने लिए कई पैंतरे आजमाएं लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इसका अहम कारण बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी ने यहां के डकैत से दोस्ती कर ली और फिर उसके बेटे को टिकट दे दिया। जिसके चलते ही लोगों में यह संदेश गया कि पार्टी डकैती को बढ़ावा दे रही है। 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी कई बार सरकार बना चुकी है। हालांकि बुंदेलखंड की मानिकपुर सीट उसकी टीस ही बनी हुई है। पार्टी ने यहां जीतने के लिए कई पैंतरे आजमाए लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। डकैत से दोस्ती और फिर डकैत के बेटे को टिकट भी दिया गया। लेकिन फिर भी वह खाली हाथ।
मानिकपुर के निवासी बताते हैं कि 2004 के लोकसभा चुनाव में ददुआ ने सपा के लिए प्रचार किया था। सपा के नजदीक आने के साथ ही ददुआ मायावती की आंखों में चढ़ गया। साल 2007 में जब मायावती की सरकार आई तो ददुआ एनकाउंटर में मारा गया। 
एनकाउंटर के बाद ददुआ तो खत्म हो गया लेकिन सपा को भी अपने साथ में ले डूबा। लोगों के जहन में साफतौर पर मैसेज गया कि सपा डकैती को बढ़ावा दे रही है। मायावती ने लोगों को गुंडागर्दी से बचा लिया। जिसके बाद लोगों ने शपथ ली कि वह सपा को यहां नहीं आने देंगे। 

6 दशकों तक डकैत यहां करते रहें खून-खराबा 
दरअसल 1980 के बाद से ही मानिकपुर में डकैत ददुआ का राज था। उसके ऊपर सरकार ने लाखों का इनाम भी रखा था। ददुआ का इशारा मात्र ही वहां चुनाव के लिए काफी होता था। उससे पहले यहां डकैतों का पूरा गैंग था। दरअसल चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में 6 दशकों तक डकैतों का आतंक रहा है। दहशत के दम पर इन डकैतों ने मानिकपुर के साथ ही यूपी और एमपी के कई गांवों में खून-खराबा किया है। 

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बसपा ने किया ददुआराज का अंत और बन गई लोगों की फेवरेट 
गुंडाराज के बीच 1996 में बसपा ने दद्दू प्रसाद को यहां से विधायक बनाया। इसके बाद गुंडई पर कुछ लगाम लगी। जनता ने 2002 और 2007 में फिर बसपा पर ही भरोसा किया और मानिकपुर सीट उसी को सौंप दी। जनता का भरोसा देखते हुए बसपा ने 2007 में डकैत ददुआ के खात्मे पर पूरा जोर लगा दिया। 22 जुलाई 2007 को मानिकपुर के झलमल जंगल में ही ददुआ को STF ने मार गिराया। यही वजह रही कि दद्दू प्रसाद के बाद 2012 में भी बसपा के ही कैंडिडेट चंद्रभान सिंह को इस सीट से विधायक चुना गया। 

भाजपा ने मास्टर प्लान के जरिए छीनी बसपा की सीट 
मानिकपुर सीट पर बसपा का बढ़ता हुआ वर्चस्व देखते हुए भाजपा ने 2017 के चुनाव में मास्टर प्लान तैयार किया। इसके बाद पूर्व बसपा विधायक आर के पटेल को उम्मीदवार बनाकर इस सीट से विधायकी लड़वाई गई। भाजपा का प्लान असर कर गया और इस सीट पर जीत मिली। पटेल जब 2019 में लोकसभा चुनाव जीते को उनकी सीट पर उपचुनाव हुआ। उपचुनाव में भी सपा ने खूब दमखम लगाया लेकिन निराशा हाथ लगी। इस सीट पर भाजपा के आनंद शुक्ला और सपा के डॉ. निर्भय सिंह की लड़ाई हुई लेकिन आनंद शुक्ला ने जीत दर्ज की। 

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