वाराणसी के ज्ञानवापी के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्णा जन्मभूमि का मुद्दा भी लाइमलाइट में आ गया है। ज्ञानवापी के बाद मथुरा में श्रीकृष्णा जन्मभूमी विवाद की भी सुनवाई टाल दी गई है।
मथुरा: यूपी के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही मस्जिद को हटाने के मामले को लेकर मंगलवार को जिला अदालत में सुनवाई होनी थी, लेकिन एक वकील के निधन के कारण सुनवाई को टाल दिया गया। अब इस मामले में 1 जुलाई को सुनवाई होगी। इस मामले में हिंदू पक्ष की तरफ के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने दावा करते हुए कहा कि वहां कोई ईदगाह या शाही मस्जिद नहीं है बल्कि वह एक मूल गर्भ गृह है।
हिंदू पक्ष की तरफ के वकील महेंद्र प्रताप सिंह
इस मामले में हिंदू पक्ष की तरफ के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि “श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण में सोमवार (9 मई, 2022) को शपथ पत्र के साथ हमने कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें बनारस कोर्ट की एक कॉपी दाखिल की थी। हमारा कहना है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बगल में मूल गर्भ गृह बना हुआ है, इसे मस्जिद कहते हैं, जबकि वास्तव में ये एक मंदिर है। भगवान वहीं प्रकट हुए थे और वहां की जो दीवारें हैं उन पर शंख, चक्र, कमल के फूल, शोषनाग बने हैं, जो चित्रकारी है एक हिंदू स्थापित कला है। यह साफ प्रदर्शित होती है।”
अवशेषों को हटाने का भी लगाया आरोप
मथुरा में श्रीकृष्णा जन्मभूमी को लेकर भी सुनवाई टाल दी गई है। जिसके बाद ये आरोप लगाया जा रहा है कि 'कुछ लोग जानबूझकर उन सब अवशेषों को वहां से हटा रहे हैं। अगर वे चिन्ह ही वहां से हटा दिए जाएंगे, तो कैसे साबित होगा कि यहां एक मंदिर था। इसे लेकर कल न्यायालय में शपथ पत्र के साथ एप्लीकेशन दी गई थी और कोर्ट द्वारा उस पर आज की तारीख निर्धारित की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि 'ये जो प्रोपर्टी है ये मंदिर की है, जिसका सुबूत हिंदू स्थापित कला है। ये लोग मस्जिद का ड्रामा करके बैठे हैं, वहां ईदगाह या मस्जिद जैसी कोई चीज नहीं है। हमने कोर्ट से यह अनुरोध किया था कि कोर्ट जिसको उचित समझता है वो कमीश्नर वहां जाए और पूरे क्षेत्र की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी हो। जो तथ्य हैं वहां पर, उनका अवलोकन करे और रिकॉर्ड में ले और माननीय न्यायालय के सामने पेश करे।'
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