मायावती बोलीं- आमचुनाव में हिन्दू-मुस्लिम कराकर गुमराह कर रही भाजपा व सपा

Published : Mar 29, 2022, 01:58 PM ISTUpdated : Mar 29, 2022, 02:27 PM IST
मायावती बोलीं- आमचुनाव में हिन्दू-मुस्लिम कराकर गुमराह कर रही भाजपा व सपा

सार

बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा व भाजपा में मिलीभगत का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को गुमराह कर उनका वोट लिया गया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सपा व भाजपा विधान सभा आमचुनाव को भी हिन्दू-मुस्लिम कराकर यहां भय व आतंक का माहौल बनाया। जिससे खासकर मुस्लिम समाज गुमराह हुआ व सपा को एकतरफा वोट देने की भारी भूल की है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी को मिली करारी हार के बाद पार्टी ने संगठन में कई बड़े बदलाव किए। जिसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने तीन प्रभारी बनाए तो वहीं अपने भतीजे आकाश आंनद को राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाया है। उसके बाद से मायावती सोशल मीडिया में भी काफी सक्रिय नजर आ रही है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर कहा कि सपा और भाजपा के बीच अंदरुनी मिलीभगत है। मुसलमानों ने विधानसभा चुनाव में सपा को वोट कर भारी भूल की जिससे भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली। 

सपा व भाजपा की अन्दरूनी है मिलीभगत
बहुजन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि यूपी में सपा व भाजपा की अन्दरूनी मिलीभगत जग-जाहिर रही है कि इन्होंने विधान सभा आमचुनाव को भी हिन्दू-मुस्लिम कराकर यहाँ भय व आतंक का माहौल बनाया। जिससे खासकर मुस्लिम समाज गुमराह हुआ व सपा को एकतरफा वोट देने की भारी भूल की, जिसको सुधार कर ही भाजपा को यहां हराना संभव है। दरअसल बसपा सुप्रीमो को लगता है कि यूपी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की हार हिन्दू-मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के चलते हुए है। इसके पहले पार्टी की हार पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि मुस्लिम समाज का पूरा वोट बीजेपी को हराने के लिए समाजवादी पार्टी की तरफ शिफ्ट कर गया। बहुजन समाजवादी पार्टी को इसी की सजा मिली है। 

बसपा ने मात्र एक सीट पर दर्ज की जीत
यूपी में बहुजन समाजवादी पार्टी अपने सबसे पार्टी बुरे दौर में चल रही है। 38 साल की राजनीति में इस बार यूपी चुनाव नतीजे पार्टी के लिए सबसे अधिक अप्रत्याशित रहे। हमेशा से मायावती जिस वोट बैंक के दम पर अपनी शर्तों पर राजनीति करती रहीं, वह भी अब खिसकता हुआ नजर आ रहा है। बसपा मुखिया मायावती का मानना है कि मुस्लिम समाज के सपा की तरफ एकतरफा वोटिंग की वजह से दलितों में भी उनके समाज के वोटरों को छोड़ बहुत से लोगों ने भाजपा को एकतरफा वोंटिग कर दी। बसपा का दलित वोट बैंक भारतीय जनता पार्टी में अपने को सुरक्षित पाते हुए अब उनके साथ जाता नजर आ रहा है। ऐसा राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बुरे हालात में भी 22 फीसदी वोट पाने वाली बसपा 2022 के विधानसभा चुनाव में मात्र 12.08 प्रतिशत ही वोट पा सकी। पार्टी ने इस चुनाव में मात्र एक सीट पर जीत हासिल की है। बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट पर उमा शंकर सिंह ने बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की है।

बसपा का साथ दलितों ने छोड़ा
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि किसी को यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि दलितों ने बसपा को छोड़ दिया है। यह जरूर है कि उसमें से कुछ उपजातियों का झुकाव दूसरी पार्टियों की ओर जरूर हो गया है। दरअसल, दलितों में जाटवों का बहुजन समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ना मायावती के लिए आने वाले समय में और मुश्किलें पैदा कर सकता है। यूपी में कुल वोटों में 21 प्रतिशत दलित हैं और जाटवों में अकेले 13 प्रतिशत वोट हैं। 

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