वह बच्चा क्या गिरे जो घुटनों के बल चले...चन्द्रयान-2 मिशन के लिए मायवती ने वैज्ञानिकों के लिए कही ये बात

चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चंद्रमा पर लैंडिंग से सिर्फ 69 सेकंड पहले पृथ्वी से संपर्क टूट गया।

लखनऊ. बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को ट्वीट कर चन्द्रयान-2 मिशन के लिए इसरो वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने लिखा- चांद पर कदम रखने के लिए चन्द्रयान-2 मिशन ने सभी भारतीयों को रोमांचित किया। भारतीय वैज्ञानिकों खासकर इसरो के वैज्ञानिकों ने अबतक जो भी सफलता प्राप्त की है, वह गर्व करने लायक है। उसकी सराहना की जानी चाहिए।

मायावती ने आगे लिखा है- आगे बढ़ते रहने के लिए यह जरूरी है कि निराशा, हताश और दुखी न हों। यह याद रहे कि गिरते हैं शहसवार मैदान-ए-जंग में, वह तिफ्ल (बच्चा) क्या गिरे जो घुटनों के बल चले। वैज्ञानिकों को देशहित में काम करते रहने के लिए उनके हौंसले बढ़ाते रहने की जरुरत है। 

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जानें क्या हुआ मिशन चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चंद्रमा पर लैंडिंग से सिर्फ 69 सेकंड पहले पृथ्वी से संपर्क टूट गया। विक्रम की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर शनिवार रात 1 बजकर 55 मिनट पर लैंडिंग होनी थी, लेकिन इसका समय बदलकर 1 बजकर 53 मिनट कर दिया गया था। हालांकि, यह समय बीत जाने के बाद भी लैंडर विक्रम की स्थिति पता नहीं चली। इसरो चेयरमैन डाॅ. के. सिवन ने बताया, लैंडर विक्रम की लैंडिंग प्रक्रिया एकदम ठीक थी। जब यान चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह से 2.1 किमी दूर था, तब उसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया। हम ऑर्बिटर से मिल रहे डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं। अगर लैंडर विक्रम की लैंडिंग की पुष्टि हो जाती तो सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर रोवर प्रज्ञान बाहर आता और यह सुबह 5:45 पहली तस्वीर क्लिक कर लेता।

जानें पीएम मोदी ने क्या कहा
बता दें, पीएम नरेंद्र मोदी ने भी चंद्रयान-2 मिशन के लिए इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ की है। लैंडर विक्रम के फेल होने के बाद शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो सेंटर पहुंचे और वैज्ञानिकों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर अपनी शुरुआती दिक्कतों और चुनौतियों से हार जाते, तो इसरो दुनिया की अग्रणी एजेंसियों में स्थान नहीं ले पाता। परिणाम अपनी जगह है, पूरे देश को आप पर गर्व है, मैं आपके साथ हूं। हर कठिनाई हमें कुछ नया सिखाकर जाती हैं। ज्ञान का सबसे बड़ा शिक्षक विज्ञान है। विज्ञान में विफलता होती ही नहीं। इसमें प्रयोग और प्रयास होते हैं। हमारी आखिरी कोशिश भले ही आशा के अनुरूप न रही हो, लेकिन चंद्रयान की यात्रा शानदार-जानदार रही। इसने कई बाद देशवासियों को आनंद से भरा। इस वक्त भी हमारा ऑर्बिटर चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। ये आप ही लोग (वैज्ञानिक) हैं, जिन्होंने पहली कोशिश में मंगल ग्रह पर भारत का झंडा फहराया था। दुनिया में ऐसी उपलब्धि किसी के नाम नहीं थी।

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