घंट-घड़ियाल के बीच मां के जयकारे से गूंजा विंध्यवासिनी धाम, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां विंध्यवासिनी धाम में श्रद्धा का सैलाब उमड़ा। मंगला आरती के बाद से ही दर्शन पूजन के लिए भक्तों का रेला लगा है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 2, 2022 7:35 AM IST / Updated: Apr 02 2022, 01:06 PM IST

मिर्जापुर: शनिवार यानी आज से नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं। 
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां विंध्यवासिनी धाम में श्रद्धा का सैलाब उमड़ा। मंगला आरती के बाद से ही दर्शन पूजन के लिए भक्तों का रेला लगा है। मंदिर परिसर में घंट-घड़ियाल के बीच मां के जयकारे गूंज रहे हैं। शुक्रवार शाम से ही मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ लग गई थी।

शनिवार सुबह मंगला आरती के बाद दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हुआ जो अनवरत जारी है। मंदिर परिसर के बाहर तक लंबी कतारें लगीं हैं। भीषण गर्मी में भी भक्तों में जबरदस्त उत्साह नजर आ रहा है।

Latest Videos

मां के दर्शन के लिए बेताब दिखे लोग
गंगा स्नान, ध्यान के पश्चात हाथों में नारियल, चुनरी व माता का प्रसाद लिए मंदिर की ओर जाने वाली गलियों में पहाड़ा वाली के जयकारे लगाते श्रद्धालु मंगला आरती के बाद मां विंध्यवासिनी के भव्य स्वरूप के दर्शन के लिए बेताब दिखे।  साथ ही घंटा, घड़ियाल व शंख, नगाड़े की गूंज से समूचा मंदिर परिसर देवीमय नजर आ रहा था। चैत्र नवरात्र मेला के शुरू होते ही संपूर्ण विंध्याचल की छटा देखते ही बन रही है। नवरात्रि के प्रथम दिन लगभग एक लाख भक्तों की भीड़ जुटी है। 

ड्रोन एवं सीसीटीवी कैमरे से रखी जी रही नजर
मुख्य सड़कों, गलियों, गंगा घाटों और अष्टभुजा के पहाड़ पर दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो, इसको लेकर जिला प्रशासन सतर्क है। ड्रोन एवं सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है। अर्धसैनिक बल के साथ-साथ दो हजार पुलिस के जवान सुरक्षा में तैनात हैं।

जानिए कौन हैं मां शैलपुत्री
मार्केण्डय पुराण के अनुसार पर्वतराज, यानि शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इसके साथ ही मां का वाहन बैल होने के कारण इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। माता सती के आत्मदाह के बाद उनका जन्म पर्वतराज हिमालय के घर कन्या के रुप में हुआ था। फिर उनका विवाह भगवान शिव से हुआ। 

मां शैलपुत्री गौर वर्ण वाली, श्वेत वस्त्र, बैल पर सवार, हाथों में कमल और त्रिशूल धारण करती हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को साहस, भय से मुक्ति, फैसलों पर अडिग रहने, कार्य में सफलता, यश, कीर्ति एवं ज्ञान प्राप्त होता है। विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी मां शैलपुत्री की पूजा करती हैं। 

सीएम योगी ने किया विशेष संचारी रोग नियंत्रण का शुभारंभ, बोले- सरकारी योजनाओं से वंचित नहीं रहेगा ग्रामीण

Share this article
click me!

Latest Videos

Akhilesh Yadav LIVE: माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस वार्ता
जम्मू के कटरा में PM Modi ने भरी हुंकार, शाही परिवार को धो डाला
'कुत्ते की पूंछ की तरह सपा के दरिंदे भी...' जमकर सुना गए Yogi Adityanath #shorts
धारा 370 पर मोदी ने खुलेआम दिया चैलेंज #Shorts
अमेरिका में किया वादा निभाने हरियाणा के करनाल पहुंचे राहुल गांधी | Haryana Election