यूक्रेन में मिसाइलों से बम दागे जा रहे हैं और यहां परिजनों में दहशत फैल रही हैं। वहां मिसाइलों से बम गिराया जा रहा हैं, मिसाइलों से हो रहे धमाकों के बीच भारतीय बच्चे दहशत में हैं। यूक्रेन में अलीगढ़ का बेटा फंसा तो मां का कहना है कि भविष्य में अब विदेश पढ़ने नहीं भेजेंगे।
अलीगढ़: यूक्रेन में मिसाइलों से बम दागे जा रहे हैं और यहां परिजनों में दहशत फैल रही हैं। वहां मिसाइलों से बम गिराया जा रहा हैं, मिसाइलों से हो रहे धमाकों के बीच भारतीय बच्चे दहशत में हैं।धमाकों और दहशत के बीच फंसे बच्चों की सलामती को लेकर परिजन अपने अपने घरों में पूजा अर्चना करने में लग गए हैं कि कैसे भी करके उनके बच्चे वहां के हालातों से निकलकर भारत वापस आ जाए। यूक्रेन के हालातों को देखते अब भारत में लोग कह रहे हैं कि भविष्य में कभी बच्चों को विदेश पढ़ने के लिए नहीं भेजेंगे।
दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच आपसी विवाद चल रहा था। काफी समय से चले आ रहे विवाद ने विकराल रूप ले लिया और रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला कर दिया गया है। वहीं रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के परिजन अपने बच्चों के स्वस्थ होने की कामना कर रहे हैं। आपको बता दें कि यूक्रेन में पढ़ने वाले छात्रों में 30 छात्र अलीगढ़ से हैं, जो कि एमबीबीएस करने के लिए यूक्रेन गए हुए थे। यूक्रेन में भारतीय बच्चे फंसे होने के बाद अब परिवार के लोग कह रहे हैं कि उनको ऐसा मालूम नहीं था कि वहां के हालात ऐसे हो जाएंगे। अगर उनको ऐसा पता होता तो वह कभी विदेश अपने बच्चों को पढ़ने के लिए नहीं भेजते।
अभिभावकों को हो रही चिंता
यूक्रेन में रूस द्वारा मिसाइलों से की जा रही गोलीबारी के बीच अलीगढ़ में अभिभावकों को पढ़ने गए बच्चों की चिंता सता रही है। वहां के बिगड़ते हालातों पर अभिभावक अपने बच्चों को लेकर परेशान हो रहे हैं। यूक्रेन के हालातों को लेकर अब परिवार के लोग सरकार से बस एक मांग कर रहे हैं कि वहां फंसे उनके बच्चों को कैसे भी करके सरकार वहां से निकाले और एअरलिफ्ट कराएं। ऐसे में रूस से भी ये यही कहेंगे कि शांति का ध्यान दे और युद्ध को टाल दे।
परिजन कर रहें पूजा-अर्चना
उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ से यूक्रेन में फंसा 20 वर्षीय बेटा रितिक वार्ष्णेय। उसकी मां का कहना है कि मेरा बेटा यूक्रेन के खारकी शहर में 4 ईयर का छात्र है। डर तो लगता है क्योंकि यूक्रेन में वार की स्थिति है, वहां आसमान से गिर रहे बम को देखते हुए उन्हें अपने बेटे की चिंता हो रही है। 26 तारीख की उसकी फ्लाइट थी जो रद्द कर दी गई। यूक्रेन में आए संकट के बाद वहां के हालातों को लेकर उसी दिन से वहां फंसे अपने बेटे समेत सभी भारतीयों के लिए उनके द्वारा पूजा अर्चना कर हवन यज्ञ किया जा रहा है।
जल्द से जल्द उनके बच्चों को यूक्रेन से भारत में एअरलिफ्ट कराया जाए। मां बोली यूक्रेन के हालात को देखने के बाद अब कोई मां बाप अपने बच्चों को अपने घर से दूर विदेश पढ़ने के लिए नहीं भेजेगा। क्योंकि मां-बाप तो अपने बेटे की भविष्य के लिए विदेश पढ़ने के लिए भेजते हैं लेकिन अगर विदेश में वॉर जैसे ऐसे हालात हो जाएं। तो वहां पढ़ रहा बच्चा और यहां भारत में रह रहे मां बाप के लिए हालात परेशानी का सबब बन जाता हैं और अकेले अपने आप को संभालना मुश्किल हो जाता है।
बेटे को लेकर इतनी चिंता पहले कभी नहीं हुई
डॉक्टर विश्वमित्र आर्य ने कहा कि उसका बेटा सौरभ यूक्रेन में पिछले कई सालों से पढ़ाई करने गया था। वो यूक्रेन के खारकी जिले में रह रहा है। वहां की यूनिवर्सिटी में फोर्थ ईयर का छात्र है। लेकिन यूक्रेन पर रूस द्वारा मिसाइलों से किए जा रहे हमले के बाद अपने बेटे को लेकर उनकी चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। क्योंकि वहां के हालात इस वक्त भयावक हो चले हैं। इस समय के माहौल को देखकर उन्हें टेंशन बहुत ही ज्यादा हो रही है।
4 साल से मेरा बेटा यूक्रेन में पढ़ रहा हैं। बेटे को लेकर जिंदगी में इतनी चिंता कभी नहीं हुई जितनी चिंता वहां के हालातों को लेकर अब हुई है। रूस के अटैक के बाद 26 तारीख को सौरभ की फ्लाइट थी। रूस के अटैक के बाद यूक्रेन में फ्लाइट ओर ट्रैफिक को पूरी तरह से बंद कर दिया गया। जिसके बाद परिवार के लोग बेटे को लेकर चिंता में हैं। वह पीएमओ और एंबेसी से लगातार संपर्क साधने में लगा हुआ है, लेकिन पीएमओ और एंबेसी से कोई संतुष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा हैं। हालांकि सरकार द्वारा कुछ फ्लाइट चलाई गई थी, लेकिन उसमें उनके बेटे का नंबर नहीं आ सका। जिसके चलते वह हालातों से निकलकर भारत नहीं आ सका।
जो फ्लाइट 26 तारीख को आने वाली थी, उसे रद्द कर दिया गया। उनकी मांग है कि सरकार कैसे भी करके वहां की स्थिति से बच्चों की फ्लाइट को एअरलिफ्ट कराएं। क्योंकि अलीगढ़ के भी बहुत सारे बच्चे यूक्रेन में फंसे हुए हैं जबकि पूरे भारत के करीब 15 से 20 हजार बच्चे यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे हैं। जिसमें एक फ्लाइट के अंदर केवल 200 से 250 बच्चे ही एक बार में आते हैं। ऐसे में भारतीय अभिभावक रुस से यही कहेंगे कि रूस शांति का ध्यान दे और युद्ध की स्थिति को रूस टालने की कोशिश करें।
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