Special Story: मुलायम की 40 साल पुरानी वो लव स्टोरी, जो अगले कुछ दिनों तक अखिलेश को देती रहेगी दर्द

मुलायम सिंह यादव की 40 साल पुरानी लव स्टोरी अगले कुछ दिनों तक अखिलेश यादव को दर्द देती रहेगी। अपर्णा गुप्ता के बीजेपी में शामिल होने के बाद जब अखिलेश से सवाल किया गया तो वह उसका समुचित जवाब तक नहीं दे पाएं। इसका कारण था मुलायम की वह लव स्टोरी जिसके कारण ही यह पूरी कहानी सामने आई। 

लखनऊ: अखिलेश यादव उस वक्त महज 9 साल के ही थे और राजनीति या इश्क भी पूरी तरह से नहीं समझते थे। सच पूछिए तो उन्हें खुद नहीं पता था कि जो हो रहा है उस पर उन्हें 40 साल बाद जवाब भी देना पड़ेगा। लेकिन ऐसा हुआ। 19 जनवरी 2022 को जब अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने के बाद पत्रकारों ने अखिलेश यादव से सवाल किया कि अखिलेश जी अपर्णा तो बीजेपी में चली गई क्या कहेंगे। यकीन मानिए इसके बाद अखिलेश यादव को जवाब देते तक न बना और उन्होंने सिर्फ इतना ही कहकर पल्ला झाड़ने का प्रयास किया कि उनको शुभकामनाएं। 

कहानी तब शुरु हुई जब मुलायम पर फिदा थी जनता, पार्टी और लड़कियां
असल में यह कहानी उस दौरान शुरू होती है जब देश में कांग्रेस टूट की ओर बढ़ रही थी। यूपी में पिछड़ा वर्ग और उसमें भी सबसे ज्यादा यादवों का दबदबा बढ़ रहा था। उस वर्ग को उनका नेताजी भी मिल चुका था। जनता, पार्टी और नई उम्र की लड़कियां तक जिस एक चेहरे पर फिदा थीं उसका नाम मुलायम सिंह यादव था। 

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सिर्फ अमर सिंह जानते थे पूरी कहानी

यह बात उस दौरान की है जब न तो समाजवादी पार्टी थी न ही राष्ट्रीय लोकदल। उस समय औरैया जिले के बिधूना जिले के रहने वाले कमलापति की 23 वर्षीय बेटी भी नर्सिंग की ट्रेनिंग ही ले रही थी। लेकिन वह राजनीति में कुछ करना चाहती थी और उसने कई राजनीतिक कार्यक्रमों में शिरकत भी की। इसी बीच वह खूबसूरत लड़की मुलायम सिंह यादव सिंह यादव से टकरा गई। उस लड़की का नाम और कुछ नहीं साधना गुप्ता था। उस दौरान क्या हुआ और क्या नहीं यह तो दोनों के अलावा सिर्फ एक शख्स ही जानता था जो अब इस दुनिया में नहीं है। उसका नाम था अमर सिंह। 

मुलायम की कहानी के कुछ पन्ने खोले सुनीता ऐरोन ने 
भले ही अमर सिंह के अलावा किसी को भी इसके बारे में कुछ नहीं पता था। लेकिन उस बारे में कुछ पत्ते सुनीता ऐरोन ने अखिलेश यादव की 'बायोग्राफी बदलाव की लहर' में खोलें। सुनीता ऐरोन एक राइटर हैं और उन्होंने यह पुस्तक भी अखिलेश यादव पर ही लिखी है लेकिन इसके कुछ पन्नों में मुलायम सिंह की लव स्टोरी के बारे में जानकारी दी गई है। सुनीता के अनुसार साधना और मुलायम की उस दौरान आम मुलाकातें हुईं। मुलायम की मां मूर्ती देवी की वजह से ही दोनों करीब आएं। साधना ने लखनऊ के एक नर्सिंग होम के बाद सैफई मेडिकल कॉलेज में भी इलाज के दौरान मूर्ती देवी की देखभाल की। 

गलत इंजेक्शन लगाने से रोका और इंप्रेस हो गए मुलायम, शुरु हुई लव स्टोरी
सुनीता ने लिखा है कि, 'मेडिकल कॉलेज में एक नर्स मूर्ती देवी को गलत इंजेक्शन लगाने जा रही थी। लेकिन उस दौरान साधना वहां मौजूद थीं और उन्होंने नर्स को गलत इंजेक्शन देने से रोक दिया। साधना की वजह से ही मुलायम की मां की जिंदगी बच गई। मुलायम इस बात पर इंप्रेस हुए और दोनों की लव स्टोरी शुरु हो गई। उस दौरान अखिलेश स्कूल में स्टूडेंट थे।'

6 साल तक छुपाई गई लव स्टोरी और 1988 में एक साथ बदली चीजें 
साल 1982 से लेकर 1988 तक अमर सिंह इकलौते ऐसे व्यक्ति थे जो जानते थे कि मुलायम और साधना के बीच क्या चल रहा है। वह जानते थे कि मुलायम को प्यार हो गया है लेकिन उन्होंने किसी से कुछ भी नहीं कहा। आखिर अमर सिंह यह कहते भी तो कैसे क्योंकि मुलायम के घर पर उनकी पत्नी मालती देवी और बेटा अखिलेश भी थे। हालांकि 1988 आया और एकसाथ कई चीजें बदल गईं। उस दौरान मुलायम मुख्यमंत्री बनने की चौखट पर खड़े थे और साधना भी अपने पति से अलग रहने लगी थीं। उस समय उनकी गोद में एक बच्चा भी था। इन सब के बीच मुलायम ने अखिलेश को साधना से मिलवा भी दिया था। 

दायर हुआ हलफनामा और कई राज खुलने की आई बारी 
भले ही मुलायम सिंह की जिंदगी में कई सालों तक यह सब कुछ चल रहा था लेकिन इसके बारे में अभी भी ज्यादा लोगों को नहीं पता था। हालांकि इसी बीच मुलायम के खिलाफ 2 जुलाई 2005 को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर हुआ। इसमें सवाल किया गया कि आखिर 1979 में 79 हजार रुपए की संपत्ति वाला समाजवादी करोड़ों की संपत्ति का मालिक कैसे बन गया? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि मुलायम की जांच की जाए। 

जांच के बाद खुले 1994 से 2003 तक के पत्ते 
जब 2007 तक पुराने पन्ने खंगाले गए तो सामने आया कि मुलायम की एक और बीबी है और उससे एक बच्चा भी है। यह सब 1994 से है। 1994 में ही प्रतीक गुप्ता ने स्कूल के फॉर्म में परमानेंट रेसिडेंस में मुलायम सिंह यादव का ऑफिशियल एड्रेस लिखा था। मां के नाम के जगह साधना गुप्ता और पिता के नाम के जगह एमएस यादव लिखा था। यही नहीं 23 मई 2003 को मुलायम ने साधना को अपनी पत्नी का दर्जा दे दिया था। 

साधना को लकी मानते हैं मुलायम, शपथपत्र में किया यह स्वीकार
सच पूछिए तो साधा वास्तविकता में मुलायम की जिंदगी में 1988 में आईं और 1989 में मुलायम सीएम बन गए। इसके बाद से ही वह साधना को लकी मानने लगे। यह सब कुछ पता तो सबको था लेकिन घर में कोई कहता कुछ नहीं था। यह सब सामने तब आया जब मुलायम ने 2007 में आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दिया। इसमें मुलायम ने लिखा कि, "मैं स्वीकार करता हूं कि साधना गुप्ता मेरी पत्नी और प्रतीक मेरा बेटा है।"

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