नौ दिवसीय अनुष्ठान के अंतर्गत नवरात्र के पहले दिन गोरक्षपीठाधीश्वर गोरखनाथ मंदिर स्थित शक्तिपीठ में कलश स्थापित करते हैं। इसके पहले कलश यात्रा निकाली जाती है और परिसर स्थित भीम सरोवर का जल कलश में भरा जाता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ कलश स्थापना के दायित्व का निर्वहन करते हैं।
लोकल डेस्क. नाथ पंथ के विश्व विख्यात गोरक्षपीठ (गोरखनाथ मंदिर) की अनेकानेक विशेषताओं में यहां नवरात्र की शक्ति पूजा व इससे सम्बंधित आनुष्ठानिक कार्यक्रम बेहद खास हैं। नाथपंथी योगी शैव मतावलम्बी यानी शिव के उपासक होते हैं, लेकिन गोरखनाथ मंदिर में शिव के साथ शक्ति की आराधना और नवरात्र की पूर्णाहुति पर राघव अर्थात भगवान राम का राजतिलक करने की परंपरा अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती।
*गोरक्षपीठाधीश्वर करते हैं कलश स्थापना*
नौ दिवसीय अनुष्ठान के अंतर्गत नवरात्र के पहले दिन गोरक्षपीठाधीश्वर गोरखनाथ मंदिर स्थित शक्तिपीठ में कलश स्थापित करते हैं। इसके पहले कलश यात्रा निकाली जाती है और परिसर स्थित भीम सरोवर का जल कलश में भरा जाता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ कलश स्थापना के दायित्व का निर्वहन करते हैं। बदलाव सिर्फ इतना हुआ है कि कलश यात्रा के दौरान शिव, शक्ति और बाबा गोरखनाथ के अस्त्र त्रिशूल को अब उनकी बजाय मंदिर के मुख्य पुजारी योगी कमलनाथ लेकर चलते हैं। परंपरा के अनुसार त्रिशूल लेकर चलने वाले को नौ दिन मंदिर में ही रहना होता है।
*अनवरत चलता है श्रीदेवी भागवत पाठ, महानिशा पूजा करते हैं पीठाधीश्वर*
नवरात्र में यहाँ श्रीदेवी भागवत/दुर्गा शप्तशती का पाठ अनवरत चलता है। इसके साथ ही देवी देवताओं के आवाहन के साथ पूजन आरती होती है। हर दिन देवी के स्वरूप विशेष की विशिष्ट पूजा होती है। अष्टमी की रात्रि में गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महानिशा पूजन करते हैं। महानिशा पूजन को विशेष शक्ति पूजा समझा जाता है।
*नव दिन व्रत रहते हैं गोरक्षपीठाधीश्वर*
नवरात्र में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नौ दिन व्रत रहते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह सिलसिला जारी है। हालांकि मुख्यमंत्री बनने के पहले वह अनवरत नौ दिन शक्ति की आराधना के दौरान मंदिर परिसर से बाहर नहीं निकलते थे।
*मातृ स्वरूप में कन्याओं का पांव पखारते हैं योगी*
नव दिन व्रतोपासना की पूर्णाहुति हवन और कन्या पूजन से होती है। गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कन्याओं का मातृ स्वरूप में पूजन कर उनका पांव पखरते है। यह दृश्य देखने लायक होता है। इस अवसर पर बटुक भैरव के रूप में कुछ बालक भी शामिल होते हैं।
*दशमी के जुलूस का रहता है इन्तज़ार*
नवरात्र पूर्ण होने पर विजयादशमी के दिन गोरक्षपीठाधीश्वर रथयात्रा जुलूस से मन्दिर से थोड़ी दूरी पर स्थित मानसरोवर मैदान जाते हैं और वहाँ पहले से चल रही रामलीला में प्रभु श्रीराम का राजतिलक करते हैं। इसी क्रम में श्रद्धालुओं और शिष्यों द्वारा पीठाधीश्वर योगी जी का तिलक कर तिलकोत्सव मनाया जाता है। आशीर्वाद लिया जाता है।
*दशमी के दिन दंडाधिकारी की भी भूमिका*
गोरक्षपीठाधीश्वर विजयादशमी के दिन साधु संतों के आपसी विवादों के समाधान के लिए दंडाधिकारी की भी भूमिका में होते हैं।
*इस बार कोविड प्रोटोकॉल के साथ होंगे आयोजन*
कोरोना काल में इस बार शारदीय नवरात्र और विजयादशमी के आयोजन कोविड प्रोटोकॉल के साथ होंगे। पहले दिन कलश यात्रा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ कुछ ही संत शामिल होंगे। दशमी के जुलूस में भी लोगों की संख्या सीमित रहेगी। मंदिर परिसर में तिलकोत्सव भी संक्षिप्त स्वरूप में होगा। गोरखनाथ मंदिर के मीडिया प्रभारी विनय गौतम ने बताया कि इस बार सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण किया जाएगा, इसके लिए सभी इंतजाम कर लिए गए हैं।