विश्व हिंदू परिषद की नई पहल, बच्चों को पुस्तकीय ज्ञान साथ संस्कार व सनातन संस्कृति से जोड़ने का करेगा प्रयास

विश्व हिंदू परिषद की तरफ से नई पहल शुरू की गई है। जिसमें बच्चों को पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ संस्कार व सनातन संस्कृति से जोड़ने का प्रयास करने का है। सभी संस्कारशालाओं के नाम किसी महापुरुष के नाम पर रखे गए हैं। यहां भारत का भविष्य गढ़ा जा रहा है। बच्चों को भारतीय पर्व और त्योहार को मनाने के कारण उसकी ऐतिहासिक और पौराणित महत्ता समझाई जा रही है।

प्रयागराज: विश्व हिंदू परिषद ने बच्चों के लिए एक नई पहल शुरू की है। संस्कारों की पाठशाला का संचालन आंगनबाड़ी केंद्रों की तर्ज पर शुरू किया है। इस संगठन से जुड़ी दुर्गा वाहिनी की सदस्यों के साथ स्थानीय महिलाएं संस्कारशाला में शिक्षका भूमिका में हैं। इन्हें प्रशिक्षित करने के साथ-2 मानदेय भी निर्धारित हुआ है। इन केंद्रों पर बच्चों को अक्षर ज्ञान, संख्या ज्ञान व अन्य पुस्तकीय जानकारी के साथ संस्कार व सनातन संस्कृति से जोड़ने का भी प्रयास है। महीने में एक बार बच्चों का मूल्यांकन होगा। 

त्योहार के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्ता जा रही समझाई
हिंदू विश्व परिषद की इस पहल में सभी संस्कारशालाओं के नाम किसी महापुरूष के नाम पर रखे गए हैं। क्योंकि यहां पर भारत का भविष्य गढ़ा जा रहा है। यहां बच्चों को भारतीय पर्व और त्योहार को मनाने के कारण उसकी ऐतिहासिक और पौराणिक महत्ता समझाई जा रही है। साथ ही भारतीय महापरूषों ने अपनी संस्कृति और राष्ट्र के लिए क्या संदेश दिया है यह भी बताया जा रहा है। साथ ही नई पीढ़ी के लिए किन बातों पर बल दिया इसे भी कहानियों और घटनाओं से समझाने की कोशिश हो रही है। यह केंद्र समाज में समरसता का संदेश भी प्रस्तारित करेंगे। इन पर महर्षि वाल्मीकि, संत रविदास, डा. भीमराव अंबेडकर के कृतित्व और व्यक्तित्व को भी प्रमुखता से बताया जा रहा है।

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4 से 14 साल के बच्चों के लिए है संस्कारशाला 
विश्वनाथ नगरी काशी प्रांत के सेवा प्रमुख राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि संस्कार केंद्रों पर चार से 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क प्रवेश दिया जाता है। उनकी दो घंटे की कक्षाएं होती है। एक केंद्र में अधिकतम 25 बच्चे पंजीकृत किए जा रहे हैं। यदि बच्चों की संख्या बढ़ती है तो नए केंद्र को शुरू करने की बात कही जाती है। उसके लिए अलग से प्रमुख शिक्षक भी नियुक्त होती हैं। सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण माघ मेला के दौरान दिया गया था। अब मानदेय भी दिया जा रहा है। इतना ही नहीं प्रत्येक बच्चे को पुस्तक, कॉपी, बैंग, पेन, पेंसिल जैसी सभी जरूरतों की वस्तुएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। महीने में एक बार प्रश्नोत्तरी के माध्यम से बच्चों का मूल्यांकन भी किया जाएगा।

24 केंद्रों का संचालन शुरू हुआ प्रयागराज में 
विश्व हिंदू परिषद के प्रांत प्रचार प्रमुख अश्वनी मिश्र ने बताया कि पहले चरण में राजस्थान के बासवाड़ा व उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में केंद्रों के संचालन की शुरुआत की गई है। जिलें में अभी 24 केंद्र चल रहे हैं। जिनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ाई जाएगी। साथ ही इन केंद्रों पर बच्चों की अन्य दैनिक जरूरतों को भी पूरा करने की कोशिश की जा रही है।

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