सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्मोही अखाड़े का पांच सदस्यीय प्रतिनिधमंडल पीएम मोदी से मिलना चाहता है। इसके लिए अखाड़े ने सोमवार को डीएम अनुज झा को ज्ञापन सौंप पीएम से समय देने की मांग की। यही नहीं, इसको लेकर पीएम को ईमेल भी किया गया है।
अयोध्या (Uttar Pradesh). सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्मोही अखाड़े का पांच सदस्यीय प्रतिनिधमंडल पीएम मोदी से मिलना चाहता है। इसके लिए अखाड़े ने सोमवार को डीएम अनुज झा को ज्ञापन सौंप पीएम से समय देने की मांग की। यही नहीं, इसको लेकर पीएम को ईमेल भी किया गया है। बता दें, अयोध्या पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जन्मभूमि पर निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया था, लेकिन मंदिर के ट्रस्ट में उसकी हिस्सेदारी सुनिश्चित की थी। कोर्ट केंद्र सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने और उसमें निर्मोही अखाड़े को प्रतिनिधित्व देने का आदेश दिया था।
अयोध्या फैसले पर पुनिर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा निर्मोही अखाड़ा
रविवार को मंदिर परिसर में निर्मोही अखाड़े के पंचों की बैठक हुई, जिसमें राम मंदिर के पक्ष मे आए फैसले व मंदिर के निर्माण को लेकर समीक्षा की गई। अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास के मुताबिक, देश के कोने कोने के 13 पंचों में से कुल 8 पंच बैठक मे शामिल हुए। सभी ने एकमत होकर कोर्ट के फैसले का स्वागत किया साथ ही यह भी तय किया गया कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोई रिव्यू याचिका दायर नहीं की जाएगी।
पीएम से मिलकर इन बातों पर चर्चा करना चाहता है अखाड़ा
दिनेंद्र दास ने कहा, हम जल्द राम मंदिर का निर्माण होते देखना चाहते हैं। बैठक में पंचो ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी स्वागत किया जिसमें निर्मोही अखाड़ा को नए ट्स्ट में शामिल कर प्रबंधकीय जिम्मेदारी में शामिल करने को कहा गया है। इसी सिलसिले में अखाड़ा का प्रतिनिधि मंडल पीएम से समय लेकर उनसे मिलेगा और ट्रस्ट मे अखाड़े की भूमिका के बारे में चर्चा करेगा।
राम मंदिर निर्माण में बाधा नहीं बनेगा अखाड़ा
महंत दिनेंद्र दास और अखाड़ा के पंचों की राय है कि मंदिर निर्माण में निर्मोही अखाड़ा बाधक न बन कर सकारात्मक भूमिका निभाएगा। जन्म भूमि न्यास के पत्थरों व अन्य सामाग्री के उपयेाग व उसके मॉडल पर मंदिर के निर्माण पर भी अखाड़ा को कोई आपत्ति नहीं है। महंत ने कहा, हम चाहते हैं कि राम मंदिर को निर्माण जल्द शुरू हो कोई बाधा इसमे न खड़ी हो। देश में सद्भाव कायम रहे तभी तो निर्मोही अखाडे के वैराग्य की भावना पूरी होगी।