निठारी कांडः नौकर बना था दरिंदा,12वें मामले में भी मिली फांसी, बोला-मेरे नसीब में फांसी ही है

9 सितंबर 2014, सुरेंद्र कोली को मेरठ जेल में फांसी दी जानी थी। कोली को मेरठ जेल की एक हाई सिक्यॉरिटी वाली बैरक में रखा गया। तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थीं। इसी बीच सुरेंद्र कोली की फांसी पर रोक से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर जेल प्रशासन को तड़के तकरीबन 4 बजे मेरठ के डीएम के जरिए मिला। इस बात की जानकारी खुद तत्कालीन वरिष्ठ जेल अधीक्षक मोहम्मद हुसैन मुस्तफा ने दी थी।

Asianet News Hindi | Published : Jan 16, 2021 1:44 PM IST / Updated: Jan 16 2021, 07:24 PM IST

गाजियाबाद। नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड के 12वें केस में दोषी करार दिए गए नौकर सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई गई है। बता दें कि युवती को अगवा कर दरिंदगी और हत्या किए जाने का आरोप था। वहीं, सजा सुनाए जाने के बाद वापस जेल ले जाते समय सुरेंद्र कोली ने सुरक्षा कर्मियों से कहा कि मेरे नसीब में फांसी ही है। यह सजा गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 319 दिन की सुनवाई और 38 लोगों की गवाही के बाद फैसला सुनाया है। साथ ही अदालत ने उस पर एक लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। 

5 मामलो में फैसला आना है बाकी
मीडिया रिपोर्ट्स् के मुताबिक सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक जे.पी. शर्मा ने कहा है कि शुक्रवार को अदालत ने पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर सुरेंद्र कोली को दोषी ठहराया था। कोली पर 1.10 लाख रुपये का जुर्माना भी सुनाया गया है। निठारी कांड में कुल 17 मामले दर्ज हैं। विशेष अदालत से इसमें 12 मामले में फैसला सुनाया गया है। अभी इसी कांड में 5 मामले अब भी कोर्ट में विचाराधीन हैं। इसके साथ ही निठारी कांड से जुडे़ तीन मामले ऐसे भी हैं, जिन में आज तक कोई पर्दा नहीं उठ सका। कई महीनों की जांच के बाद जब इन तीन मामलों में कोई सबूत नहीं मिला तो सीबीआई ने इनमें अपनी क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी थी।

जब रातोंरात टल गई थी फांसी
9 सितंबर 2014, सुरेंद्र कोली को मेरठ जेल में फांसी दी जानी थी। कोली को मेरठ जेल की एक हाई सिक्यॉरिटी वाली बैरक में रखा गया। तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थीं। इसी बीच सुरेंद्र कोली की फांसी पर रोक से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर जेल प्रशासन को तड़के तकरीबन 4 बजे मेरठ के डीएम के जरिए मिला। इस बात की जानकारी खुद तत्कालीन वरिष्ठ जेल अधीक्षक मोहम्मद हुसैन मुस्तफा ने दी थी।

एक नजर में जानिए, कब हुआ क्या 
-29 दिसंबर 2006 को नोएडा में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले।
-29 दिसंबर 2006 को मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंदर कोली को गिरफ्तार किया गया। 
-30 दिसंबर 2006 को सीबीआई को मानव हड्डियों के कुछ हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले, जिनमें मानव अंगों को भरकर फेंका गया था। 
-31 दिसंबर 2006 को दो पुलिस कांस्टेबल को बर्खास्त किया गया। 
-5 जनवरी 2007 को पंढेर और कोली को पुलिस नार्को टेस्ट के लिए गांधीनगर लेकर गई। 
-10 जनवरी 2007 को सीबीआई ने पंढेर और कोली से पूछताछ की और कुछ ही दिनों में जांच करने के लिए निठारी पहुंची। पंढेर के घर के आसपास और भी हड्डियां बरामद की गईं। 
-25 जनवरी 2007 को पंढेर और कोली के साथ गाजियाबाद कोर्ट परिसर में मारपीट हुई। सीबीआई दोनों को पेश करने के लिए अदालत लाई थी। 
-7 अप्रैल 2007 को मृतका के कंकाल की शिनाख्त उसके सलवार सूट और चप्पलों के जरिये हुई। बाद में कोली ने बालों के क्लिप को भी पहचाना। 
-8 फरवरी 2007 को कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया। 
-मई 2007 को सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था। दो माह बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने पंढेर को मामले में सहअभियुक्त बनाया। 
-13 फरवरी 2009 को विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। मामले में ये पहला ऐसा फैसला था। 
-11 सितंबर 2009 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी किया और सुरेंद्र कोली की मौत की सजा बरकरार रखी। 
-4 मई 2010 को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सुरेंद्र कोली को सात वर्षीय बच्ची की हत्या का दोषी पाया। 
-3 सितंबर 2014 को कोली के खिलाफ कोर्ट ने डेथ वारंट भी जारी किया। 
-4 सितंबर 2014 को  कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया। 
-12 सितंबर 2014 से पहले सुरेंदर कोली को फांसी दी जानी थी। वकीलों के समूह 'डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप' ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा। 
-12 सितंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई। 
-28 अक्तूबर 2014 को सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया। 2014 में राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी। 
-28 जनवरी 2015 को हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील किया।
 

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