नोएडा की अनोखी कावड़ यात्रा, 15 किलोमीटर का सफर अनूठे तरीके से तय करेगा भोलेनाथ का भक्त

यूपी के ग्रेटर नोएडा के एक गांव के रहने वाले सुभाष अलग ही तरीके से कांवड़ ला रहे हैं। वह 15 किलोमीटर की दूरी अलग ही अंदाज में तय करने का निर्णय लिए है। 17 जुलाई को उत्तराखंड के गोमुख से गंगाजल उठाकर पैदल कांवड़ यात्रा शुरू की थी। लेकिन अब कांच के ढेर पर लेटकर बाकी की यात्रा को पूरा करेंगे।

नोए़डा: सावन के पवित्र महीने में भारी संख्या में श्रद्धालु कांवड़ यात्रा का हिस्सा बनते है। कोरोनाकाल के दो साल के लंबे अंतराल के बाद भक्तों में एक अलग ही उत्साह जोश देखने को मिल रहा है। श्रावण माह का पवित्र महीना चल रहा है और इस दौरान सड़कों पर कावड़ियों का सैलाब नजर आ रहा है। भगवान शिव की भक्ति लोग अलग-अलग अंदाज में कर रहे है। भोलेनाथ की भक्ति का अलग ही रूप देखने को मिल रहा है। इसी प्रकार राज्य के ग्रेटर नोएडा में एक अनोखा शिव भक्त नजर आया है। उसकी शिव पर श्रद्धा अलग तरह ही देखने को मिल रही है। यह शिवभक्त बोतलों के कांच के ढेर पर लेट कर गांव तक कांवड़ यात्रा कर रहे हैं।

कांच के ढेर पर तय करेंगे बाकी का सफर
जानकारी के अनुसार ग्रेटर नोएडा के घोड़ी बछेड़ा गांव के निवासी सुभाष रावल गोमुख से कांवड़ ला रहे हैं। उन्होंने बीती 17 जुलाई को उत्तराखंड के गोमुख से गंगाजल उठाकर पैदल कांवड़ यात्रा शुरू की थी। सुभाष सोमवार को दादरी के चिटहेड़ा गांव के शिव मंदिर पर पहुंच गए और फिर यहां से उन्होंने एक अनूठी कांवड़ यात्रा का शुभारंभ किया। इस जगह से उनका गांव करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर है। दादरी के चिटहेड़ा से सुभाष ने कांच की बोतलों को तोड़ा और उसका ढ़ेर बनाकर उस पर लेटकर यात्रा की शुरुआत की। इस यात्रा में उनके दो बेटे उनकी मदद कर रहे हैं।

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कांच की करीब 62 बोतलों को है तोड़ा
सुभाष के बेटे सोनू ने बताया कि मेरे भाई कपिन ने और मैंने करीब 62 कांच की बोतलों को तोड़कर उनके कांच को एक कपड़े में इकट्ठा किया है। इसके बाद यह कपड़ा जमीन पर बिछा दिया गया है, जिसमें हमारे पिता सुभाष रावल 15 किलोमीटर की दूरी को अर्धनग्न अवस्था में इस टूटे हुए कांच पर लेट कर ही तय करेंगे। इतना ही नहीं इस यात्रा के दौरान उनके साथ एक डीजे चल रहा है और शिव भक्ति में लीन होकर वह कांच के ढेर पर लेट कर अपनी यात्रा को पूरा करने के प्रयास में लगे हुए हैं। ऐसी यात्रा तय करने के बाद तो वह भगवान शिव के गीतों पर डांस भी कर रहे हैं। हैरान करने वाली बात तो यह कि इस यात्रा के दौरान सुभाष रावल को कोई खरोच तक नहीं आई है। शिव अपने भक्त का पूरा ध्यान रख रहे हैं।

चौथी बार ला रहे हैं इस तरह से कांवड़
वहीं गांव के लोगों का कहा है कि सुभाष रावल शिव भक्त हैं और लंबे समय से कावड़ ला रहे है। लेकिन कांच के ढेर पर लेटकर कांवड़ वह चौथी बार ला रहे हैं। सुभाष चिटहेड़ा गांव से कांच के ढेर पर लेटकर ही गांव के प्राचीन शिव मंदिर तक जाते हैं और फिर उसके बाद जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा करीब 15 किलोमीटर की होती है। शिव भक्ति में लीन सुभाष की यात्रा को देखकर हर कोई हैरान है। जो भी इस यात्रा को देख रहा है हर कोई आश्चर्यचकित होने के साथ भोलेनाथ के जायकारे लगाने से रोक नहीं पा रहा है। सुभाष रावल को घोड़ी बछेड़ा गांव में भी भोलेनाथ का बहुत बड़ा शिवभक्त कहा जाता है।

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