पति और दामाद की मौत के बाद भी कम नहीं हुआ हौंसला, 58 साल में बनाई 4000 से ज्यादा शौचालय


सीतापुर जिले की रहने वाली कलावती देवी की शादी महज 13 साल की उम्र में हुई। शादी के बाद वह पति के साथ कानपुर में राजा का पुरवा में आकर बस गईं। कलावती कभी स्कूल भी नहीं गई। लेकिन उनके भीतर समाज के लिए कुछ करने की ललक बचपन से थी। राजा का पुरवा गंदगी के ढेर पर बसा था। 
 

Ankur Shukla | Published : Mar 8, 2020 12:15 PM IST / Updated: Mar 08 2020, 05:46 PM IST

कानपुर ( Uttar Pradesh) । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानपुर की कलावती देवी को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया है। इन्होंने अब तक चार हजार से अधिक शौचालय का निर्माण अपने हाथों से किया है। पति व दामाद की मौत के बाद भी कलावती का हौसला नहीं टूटा। परिवार में कमाने वाली कलावती इकलौती सदस्य हैं।

58 साल में तैयार किया चार हजार शौचालय
कलावती अपने पति और दामाद की मौत के बाद भी नहीं टूटी। तमाम तरह की दुश्वारियों के बाद भी कलावती ने समाज की बेहतरी के लिए शौचालय निर्माण कार्य जारी रखा। 58 साल की उम्र में कलावती 4000 से अधिक शौचालय बना चुकी हैं।

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13 साल की उम्र में हुआ था विवाह
सीतापुर जिले की रहने वाली कलावती देवी की शादी महज 13 साल की उम्र में हुई। शादी के बाद वह पति के साथ कानपुर में राजा का पुरवा में आकर बस गईं। कलावती कभी स्कूल भी नहीं गई। लेकिन उनके भीतर समाज के लिए कुछ करने की ललक बचपन से थी। राजा का पुरवा गंदगी के ढेर पर बसा था। 

मोहल्ले में नहीं था एक भी शौचालय
करीब 700 आबादी वाले इस पूरे मोहल्ले में एक भी शौचालय नहीं था। सभी लोग खुले में शौच के लिए जाते थे। दो दशक पहले एक स्थानीय एनजीओ ने राजा का पुरवा में शौचालय निर्माण के लिए पहल शुरू की, जिससे कलावती जुड़ गईं। कलावती को राजमिस्त्री का काम आता था। इसलिए उन्होंने मोहल्ले का पहला सामुदायिक शौचालय बनाया। 

कलावती को लोग मारते थे ताना
कलावती की मानें तो यह आसान नहीं था। लोग इस काम के लिए ताना मारते थे। मोहल्ले में लोग जमीन खाली करने के लिए राजी नहीं थे। लोगों को शौचालय की जरूरत समझ में नहीं आ रही थी। लेकिन, काफी समझाने के लिए लोग राजी हुए। बाद में तत्कालीन नगर निगम के आयुक्त से दूसरे स्लम बस्तियों में शौचालय निर्माण कराने का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद शौचालय निर्माण शूरू हुआ।
 

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