बेहमई गांव में 39 साल पूर्व हुए सामूहिक नरसंहार कांड का फैसला एक बार फिर टल गया है। छह जनवरी को कानपुर देहात की कोर्ट में फैसला सुनाया जाना था, लेकिन बचाव पक्ष सुप्रीम कोर्ट रूलिंग पेश करने के लिए समय मांगा गया था। इसपर कोर्ट ने फैसले के लिए 18 जनवरी की तिथि तय की थी।
कानपुर (Uttar Pradesh)। कानपुर देहात जिले के बेहमई गांव में 39 साल पहले हुए नरसंहार मामले में फैसला एक बार फिर टल गया है। खबर है कि यह फैसला केस डायरी उपलब्ध न होने की वजह से जज ने नहीं सुनाया। साथ ही फैसला की तारीख 24 जनवरी तय की है। वहीं, मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक सरकारी वकील राजू पोरवाल ने बताया कि बेहमई कांड की मूल केस डायरी गायब है। बता दें कि 14 फरवरी 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने डकैतों के साथ मिलकर 26 लोगों को गोलियों से भून दिया था, जिसमें 20 लोगों मौत हो गई थी। इस मामले में माती जिला कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
जज ने जारी किया नोटिस
जज ने कोर्ट के सत्र लिपिक को नोटिस जारी किया है। इस मामले में पहले 6 जनवरी को फैसला आना था, लेकिन बचाव पक्ष ने दलीलें पेश करने के लिए वक्त मांगने पर यह टल गया था।
इस समय यह है स्थिति
बेहमई नरसंहार मामले में 2012 में ट्रायल शुरू हुआ था। 23 आरोपियों में से फूलन देवी समेत 16 की मौत हो चुकी है। तीन आरोपित भीखा, विश्वनाथ और श्यामबाबू जमानत पर बाहर हैं, जबकि पोसा जेल में बंद हैं। वहीं, जालौन जिले के तीन आरोपी मान सिंह, रामकेश व विश्वनाथ उर्फ अशोक फरार चल रहे हैं।
16 आरोपियों की हो चुकी है मौत
फूलन देवी, जालौन के कोटा कुठौंद के राम औतार, गुलौली कालपी के मुस्तकीम, महदेवा कालपी के बलराम, टिकरी के मोती, चुर्खी के वृंदावन, कदौली के राम प्रकाश, गौहानी सिकंदरा के रामपाल, बिरही कालपी के लल्लू बघेल व बलवान, कालपी के लल्लू यादव, कोंच के रामशंकर, डकोर कालपी के जग्गन उर्फ जागेश्वर, मेतीपुर कुठौद के प्रेम, धरिया मंगलपुर के नंदा उर्फ माया मल्लाह व राम सिंह की मौत हो चुकी है।