सुषमा स्वराज जब विदेश मंत्री थीं, तब सारी दुनिया उनकी कार्यशैली के आगे नतमस्तक हो जाती थी। यह 2016 की घटना है, जब इस महिला के पति को समुद्री लुटेरे उठाकर ले गए थे। महिला ने सुषमा स्वराज को ट्वीट करके अपना दुख बयां किया था।
वाराणसी. विदेश मंत्रालय संभालते हुए सुषमा स्वराज ने कई ऐसे उदाहरण पेश किए, जो मिसाल बन गए। यह हैं कंचन भारद्वाज। वे बताती हैं कि उनके पति संतोष मर्चेंट नेवी में काम करते थे। 25 मार्च 2016 को जब वे जहाज पर थे, तब नाइजीरियन समुद्री लुटेरों ने उन्हें और उसके 4 अन्य साथियों को बंधक बना लिया था। उन्हें जंगलों में बांधकर रखा गया था। कंचन ने घटना को लेकर सुषमाजी को ट्वीट किया। इसके बाद सुषमाजी सक्रिय हुईं। उनकी कोशिशों के बाद ही 11 मई को समुद्री लुटेरों ने बंधकों को जिंदा छोड़ दिया था। कंचन कहती हैं कि सुषमाजी के कारण ही आज उनका सुहाग जिंदा है। सुषमा स्वराज का मंगलवार देर रात निधन हो गया। वे 67 साल की थीं। उनका जन्म 14 फरवरी 1952 को अंबाला में हुआ था। उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। निधन से कुछ वक्त पहले उन्होंने धारा 370 को लेकर ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी।
25 साल की उम्र में लड़ा था पहला चुनाव
सुषमा ने सबसे पहला चुनाव 1977 में लड़ा। तब वे 25 साल की थीं। वे हरियाणा की अंबाला सीट से चुनाव जीतकर देश की सबसे युवा विधायक बनीं। वे हरियाणा सरकार में मंत्री भी बनीं। इस तरह वे किसी राज्य की सबसे युवा मंत्री रहीं। अटलजी की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 1998 में उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, इसके बाद हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा हार गई। पार्टी की हार के बाद सुषमा ने विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी और राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो गईं।